सोमवार 14 अप्रैल 2025 - 18:17
आयतुल्लाह आराफ़ी का मशहूर क़ुरआनी प्रोग्राम "महफ़िल" पर इज़हार ए तहसीन / क़ुरआन ज़िंदगी की किताब है

हौज़ा / ईरान के हौज़ा-ए-इल्मिया के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा अराफ़ी ने "महफ़िल" नामी क़ुरआनी प्रोग्राम के लिए सदा व सिमा के प्रमुख डॉक्टर पैमान जबली को एक खत के ज़रिये मुबारकबाद और शुक्रिया पेश किया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, ईरान के हौज़ा-ए-इल्मिया के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा आराफी ने "महफ़िल" नामक क़ुरआनी कार्यक्रम को लेकर सदा व सिमा (इस्लामी जुम्हूरीए ईरान का राष्ट्रीय रेडियो और टेलीविज़न संस्थान) के प्रमुख डॉक्टर पैमान जबली को एक पत्र के माध्यम से मुबारकबाद और शुक्रिया पेश किया है।

आयतुल्लाह आराफी ने इस पत्र में "महफ़िल" को एक गंभीर और असरदार कार्यक्रम क़रार दिया जो बहुत ही बुद्धिमत्तापूर्ण अंदाज़ में क़ुरआन की रोशनी को आम लोगों तक पहुँचाने में सफल रहा है। उनके अनुसार, यह कार्यक्रम क़ुरआन से जुड़ाव को एक नए और व्यावहारिक अंदाज़ में पेश करता है और इस आम ग़लतफहमी को ख़ारिज करता है कि क़ुरआन केवल सवाब (पुण्य) के लिए है।

उन्होंने कहा कि दरअसल, क़ुरआन ज़िंदगी की किताब है, जो ज़ुल्म के ख़िलाफ़ जिहाद, तरबियत (शिक्षा), बसीरत (दूरदर्शिता), उम्मीद और तरक़्क़ी (विकास) का पैग़ाम देता है।

उन्होंने "महफ़िल" में पेश किए गए विषयों, इस्लामी दुनिया के मसाइल, मक़तबे मुक़ावमत (प्रतिरोध के स्कूल) की तशरीह, और हुज्जतुल इस्लाम क़ासेमीयान की बसीरत अफ़रोज़ मौजूदगी की भी सराहना की। साथ ही इस कार्यक्रम की अंतर्राष्ट्रीय लोकप्रियता और शिया मक़तब पर क़ुरआन से दूरी के इल्ज़ामात के जवाब को भी क़ाबिल-ए-तवज्जोह (ध्यान देने योग्य) बताया।

आयतुल्लाह अराफी ने "ज़िंदगी बा आयेहा" नामक राष्ट्रीय क़ुरआनी मुहिम की भी तारीफ़ की, जो रमज़ान के मुबारक महीने में क़ुरआन की समझ और हिफ़्ज़ के फ़रोग के लिए कामयाब क़दमों पर मबनी थी। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस तरह के प्रयास आधुनिक इस्लामी संस्कृति की बुनियाद बन सकते हैं।

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