हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार,यज़्द के हौज़ा ए इल्मिया के विद्वान हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद मोहम्मद काज़िम मद्ररसी ने यज़्द प्रांत की शिक्षा विभाग और हौज़ा-ए-इल्मिया के संयुक्त सम्मेलन में कहा कि ईरानी राष्ट्र की तौहीद की चमकदार विरासत हमें यह बताती है कि नई पीढ़ी में धार्मिक और सांस्कृतिक सौंदर्य-बोध को मज़बूत करना बेहद आवश्यक है।
उन्होंने शिक्षा विभाग और हौज़ा के प्रबंधन की कोशिशों की सराहना करते हुए इन दोनों संस्थानों के बीच बेहतर सहयोग की ज़रूरत पर बल दिया और कहा,ईरानी राष्ट्र शुरू से ही एकेश्वरवादी रहा है, और यह उसके गहरे धार्मिक व सांस्कृतिक सौंदर्य-बोध की पहचान है।
कुछ ऐतिहासिक उदाहरण पेश करते हुए उन्होंने कहा,तीन हज़ार साल की मोनोटेइज़्म की विरासत ईरानी इतिहास में हमेशा तौहीद की भावना रही है और इसे सबसे सुंदर धार्मिक विचार माना गया है।गुलामी या उपनिवेशवाद को नकारना ईरानियों ने कभी अपने देश को विदेशी ताक़तों के अधीन नहीं होने दिया क्योंकि उनके लिए स्वतंत्रता ही सौंदर्य और सम्मान की मिसाल रही है।
इस्लाम को स्वेच्छा से अपनाना कई अन्य देशों के विपरीत, ईरानियों ने इस्लाम को तलवार के ज़ोर पर नहीं, बल्कि इसकी सुंदरता को समझकर अपनाया।
अंत में हुज्जतुल इस्लाम मद्ररसी ने चेतावनी दी,हमें होशियार रहना चाहिए कि यह सुंदरताएं हमसे छिन न जाएं, क्योंकि दुश्मन इन्हें खोखले और सतही विचारों से बदलने की कोशिश कर रहा हैं।
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