बुधवार 14 मई 2025 - 17:07
हौज़ा ए इल्मिया और यूनिवर्सिटी पर्यावरण संरक्षण में अपनी प्रभावी भूमिका निभाएं

हौज़ा / मजलिस-ए ख़बरगान-ए रहबरी के सदस्य ने कहा,हौज़ा ए इल्मिया धार्मिक संस्थानों और विश्वविद्यालयों के शिक्षकों, विद्वानों और प्रतिष्ठित व्यक्तियों पर यह जिम्मेदारी है कि वे वर्तमान समय की समस्याओं को गहराई से समझें और उन पर गंभीरता से शोध करें, क्योंकि नई पीढ़ी की शिक्षा, जागरूकता और मार्गदर्शन इन्हीं के माध्यम से संभव है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, मजलिस-ए ख़बरगान-ए रहबरी के सदस्य और ख़ुज़िस्तान के जनप्रतिनिधि आयतुल्लाह मोहसिन हैदरी ने अहवाज़ में अपने संबोधन में वर्तमान युग की प्रमुख सामाजिक समस्याओं, विशेष रूप से पर्यावरणीय संकट, पर ध्यान आकर्षित किया और धार्मिक व शैक्षणिक संस्थानों को इस क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभाने की आवश्यकता पर जोर दिया। 

उन्होंने कहा,फ़िक़्ह-ए मोहीत-ए ज़ीस्त इस्लामी शरिया के प्रकाश में मनुष्यों और पर्यावरण के बीच संबंधों, संवाद, सुरक्षा और इसके उचित उपयोग के सिद्धांतों के अनुसंधान का नाम है, जो कुरान, सुन्नत और मासूम इमामों (अ.स.) के जीवन जैसे धार्मिक स्रोतों से प्राप्त किए जाते हैं। 

आयतुल्लाह हैदरी ने औद्योगिक विकास, उपभोक्तावाद के प्रसार और प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन को पर्यावरणीय विनाश के प्रमुख कारण बताया। 

उन्होंने पर्यावरणीय खतरों जैसे ग्रीनहाउस गैसों का प्रसार, वैश्विक तापमान वृद्धि, ओज़ोन परत को नुकसान, वनों की कटाई, जल प्रदूषण और बड़े पैमाने पर जल संचयन परियोजनाओं को विनाशकारी बताया, जिसके परिणामस्वरूप हजारों जलीय जीव नष्ट हो रहे हैं। 

उन्होंने कहा,हौज़ा ए इल्मिया धार्मिक संस्थानों और विश्वविद्यालयों के शिक्षकों, विद्वानों और प्रतिष्ठित व्यक्तियों की यह जिम्मेदारी है कि वे वर्तमान युग की समस्याओं को गहराई से समझें और उन पर गंभीरता से शोध करें, क्योंकि नई पीढ़ी की शिक्षा, जागरूकता और मार्गदर्शन इन्हीं के माध्यम से संभव है। 

आयतुल्लाह हैदरी ने अंत में कहा,धार्मिक और शैक्षणिक संस्थानों को चाहिए कि पर्यावरणीय मुद्दों को केवल एक शैक्षणिक या तकनीकी विषय न समझें, बल्कि इसे एक धार्मिक, नैतिक और सांस्कृतिक कर्तव्य मानकर इस क्षेत्र में प्रभावी कदम उठाएं।

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