बुधवार 13 अगस्त 2025 - 15:22
अरबईन की यात्रा का परिणाम एक विशाल सांस्कृतिक सभ्यता का निर्माण है

हौज़ा / बानो-ए-करामत के पवित्र दरगाह के वक्ता ने अर्बईन की महान यात्रा का परिणाम आज की दुनिया में एक सांस्कृतिक सभ्यता का निर्माण बताया और कहा,आज साम्राज्यवादी व्यवस्था अपनी मीडिया शक्ति के साथ भौतिकवाद और अश्लीलता पर केंद्रित है लेकिन दुनिया भर के करोड़ों लोग एकजुट होकर कर्बला में इकट्ठा होते हैं और भौतिक लाभ की परवाह किए बिना एक दूसरे की सेवा करते हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन हादी अलयासी ने बानो-ए-करामत के पवित्र दरगाह में एक धार्मिक सभा में कहा,हम अर्बईन-ए-हुसैनी के करीब हैं जो दुनिया में कई मायनों में अद्वितीय है।

उन्होंने अरबईन यात्रा में अहलेबैत (अ.स.) के प्रेमियों के अद्भुत व्यवहार को प्रेम पर आधारित बताया और कहा,आज का साम्राज्यवादी विश्व अपनी मीडिया शक्ति के साथ भौतिकवाद और अश्लीलता पर केंद्रित है, लेकिन विभिन्न देशों के करोड़ों लोग एकजुट होकर कर्बला में इकट्ठा होते हैं और भौतिक लाभ की परवाह किए बिना एक-दूसरे की सेवा करते हैं।

बानो ए करामत के वक्ता ने जोर देकर कहा,अर्बईन का एक कुरानी मॉडल है, क्योंकि इस महान आंदोलन का परिणाम आज की दुनिया में एक सांस्कृतिक सभ्यता का निर्माण है।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अलयासी ने कहा,धरती पर दैवीय सभ्यता का निर्माण करना कठिन है, और लोगों को भी इन कठिनाइयों को सहन करना चाहिए। 

उन्होंने याद दिलाया,तौहीद की स्थापना के लिए एक मार्गदर्शक और नेता होना चाहिए जो लोगों को सही रास्ता दिखा सके, क्योंकि इंसान अकेले तौहीद के मार्ग पर नहीं चल सकते। 

बानो ए करामत के वक्ता ने आगे कहा,अल्लाह ने तौहीद की स्थापना के लिए विभिन्न पैगंबरों और अहलेबैत (अ.स.) को पेश किया है, और लोगों को इन मार्गदर्शकों के इर्द-गिर्द एकजुट होना चाहिए। 

हुज्जतुल इस्लाम अलयासी ने कहा,अल्लाह के अवलिया, पैगंबरों और मासूम इमामों से प्रेम रखना एक दैवीय पूंजी है जो लोगों के दिलों को उनकी ओर आकर्षित करती है। 

उन्होंने जोर देकर कहा,यदि इमाम-ए-ज़माना (अ.ज.) का ज़हूर होता है, तो वे अपनी आध्यात्मिक पूंजी के साथ लोगों को अपने आसपास एकजुट कर सकते हैं, और जब वे काबा की दीवार पर झुकेंगे तो लोगों के दिल उनकी ओर आकर्षित होंगे।

बानो-ए-करामत के वक्ता ने कहा,यह आध्यात्मिक पूंजी अर्बईन के समारोहों में प्रकट होती है, क्योंकि इस मार्ग की सभी कठिनाइयों के बावजूद लाखों ज़ायरीन पैदल यात्रा कर रहे हैं।

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