हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार,हौज़ा ए इल्मिया इमाम अल मुन्तज़र स.ल. क़ुम अलमुक़द्दस में बीते दिन एक भव्य और वैज्ञानिक सेमिनार का आयोजन हुआ, जिसका विषय था,हौज़ा-ए-इल्मिया क़ुम की सौवीं सालगिरह और भारत-पाकिस्तान में इसके असरात और बरकतें इस कार्यक्रम में भारत और पाकिस्तान के मशहुर उलमा-ए-किराम ने बड़ी संख्या में शिरकत की।
यह सेमिनार हौज़ा-ए-इल्मिया इमाम अल-मुन्तज़र (अ.स) के ज़ेरे-एहतमाम आयोजित किया गया कार्यक्रम की शुरुआत क़ुरआन मजीद की तिलावत से हुई, जिसके बाद डॉ. रईस-ए-आज़म शाहिद ने खिताब किया।
इस मौके पर हौज़ा के मोहतम्मिम हुज्जतुल इस्लाम सय्यद मोहम्मद हसन नक़वी, शिक्षकगण और दूसरे उलमा-ए-किराम ने पाकिस्तान से आए हुए मेहमान-ए-ख़ुसूसी बुज़ुर्ग आलिमे-दीन आयतुल्लाह सैय्यद हसन ज़फर नक़वी का गर्मजोशी से स्वागत किया।
अपने खिताब में आयतुल्लाह हसन ज़फर नक़वी ने हौज़ा ए इल्मिया क़ुम की सौवीं तासीस, इसके हालात और इसकी वैश्विक, विशेषकर भारत और पाकिस्तान में बरकतों व प्रभावों पर तफ़सील से रौशनी डाली।
इस प्रोग्राम के दूसरे मेहमान-ए-ख़ुसूसी, रहबर-ए-इंक़िलाब इस्लामी के भारत में पूर्व प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मेंहदी मेहदवीपूर थे।
उन्होंने अपने भाषण में कहा कि हौज़ा-ए-इल्मिया क़ुम को पूरी दुनिया में मआरेफ़-ए-अहलेबैत (अ.स) फैलाने के लिए और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है।
इसके बाद हुज्जतुल इस्लाम सय्यद मोहम्मद हसन नक़वी ने अपनी बात रखते हुए मेहमानों को मदारिस-ए-इमाम अल-मुन्तज़र (अ.स) की तरफ से खुशामदीद कहा।
कार्यक्रम के आख़िर में किताब मक़ाम व मंज़िलत-ए-हज़रत फ़ातिमा मअसूमा (स.) की रोनुमाई की गई, जो आयतुल्लाह मेहदवीपूर और सय्यद मोहम्मद हसन नक़वी साहब के मुबारक हाथों से अंजाम पाई।
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