मंगलवार 6 मई 2025 - 15:51
हौज़ा ए इल्मिया क़ुम ने हमेशा समय की ज़रूरतों के मुताबिक तरक़्क़ी की और सभी शैक्षणिक क्षेत्रों में उत्कृष्ट सेवाएं अंजाम दीं

हौज़ा / अल्लामा सैयद इफ्तिखार हुसैन नक़वी ने कहा, इमाम ज़माना अ.ज. के ज़ुहूर से संबंधित जो हदीसें मौजूद हैं, उनमें भी क़ुम की भूमिका का उल्लेख मिलता है आज इंटरनेट, सोशल मीडिया और डिजिटल टेक्नोलॉजी के माध्यम से दीन के प्रचार के लिए अपार संभावनाएँ मौजूद हैं। हमें इन साधनों का उपयोग हक़ के दीन के प्रचार व प्रसार के लिए करना चाहिए।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, हौज़ा ए इल्मिया क़ुम की आधुनिक स्थापना के 100 साल पूरे होने की मुनासिबत से पाकिस्तान के वरिष्ठ आलिम-ए-दीन, इस्लामी नज़रिया कौंसिल के सदस्य और इमाम खुमैनी रह. ट्रस्ट पाकिस्तान के चेयरमैन, आल्लामा सैयद इफ्तिखार हुसैन नक़वी ने अपने ईरान के दौरे के दौरान "हौज़ा न्यूज़" के संवाददाता से विशेष बातचीत की।

उन्होंने हौज़ा ए इल्मिया क़ुम की सौ साल की इल्मी (शैक्षणिक) सेवाओं पर खुशी जताते हुए कहा,हौज़ा का वजूद इमामों अ.स. के दौर से ही इल्म का केंद्र रहा है। उन्होंने इमाम जाफर सादिक (अ.स.) की हदीसों का हवाला देते हुए हौज़ा ए इल्मिया क़ुम की इल्मी महानता और इसके आख़िरी ज़माने में अहम किरदार पर रौशनी डाली।

उन्होंने कहा,जिस तरह इमाम जाफर सादिक (अ.स.) के दौर में इल्मी मराकिज़ (शैक्षणिक केंद्र) फैले, उसी तरह आयतुल्लाहिल-उज़मा हायरी यज़दी (रह.) ने 100 साल पहले क़ुम में एक संगठित दीन व इल्मी इदारे की बुनियाद रखी, जिसकी वजह से क़ुम शहर इस्लामी दुनिया में इल्मी हुक्म (प्रमाण) बन गया।

आल्लामा नक़वी ने कहा, हौज़ा ए इल्मिया क़ुम ने हमेशा ज़माने की ज़रूरतों के अनुसार तरक़्क़ी की और हर इल्मी शोबे (शाखा) में अहम सेवाएं अंजाम दीं, चाहे वो दीनी उलूम (धार्मिक ज्ञान) हों या फिलॉसफी, तिब्ब (चिकित्सा), इरफ़ान या दूसरे आधुनिक विषय।

हौज़ा ए इल्मिया क़ुम ने हमेशा समय की ज़रूरतों के मुताबिक तरक़्क़ी की और सभी शैक्षणिक क्षेत्रों में उत्कृष्ट सेवाएं अंजाम दीं

उन्होंने आगे कहा, हौज़ा ने न सिर्फ इस्लामी इंक़लाब (क्रांति) की राह तैयार की, बल्कि आज भी वैश्विक स्तर पर दीन की तबलीग व तरवीज में सबसे आगे है।

मौजूदा साइंस और टेक्नोलॉजी की तरक़्क़ी का ज़िक्र करते हुए नक़वी ने कहा हमें हदीसों में इल्म हासिल करने की तरग़ीब दी गई है, चाहे वो चीन जाकर ही क्यों न हो। इससे साफ़ ज़ाहिर होता है कि हौज़ा को हर मुफीद (लाभकारी) इल्म को अपनाना चाहिए और नए दौर की चुनौतियों के साथ कदम से कदम मिलाना चाहिए।

उन्होंने ख़ासतौर पर सोशल मीडिया और नई टेक्नोलॉजी की अहमियत पर ज़ोर देते हुए कहा, मौजूदा दौर और मीडिया की दुनिया में हौज़ा ए इल्मिया को अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए।

आख़िर में उन्होंने रहबर-ए-मुअज़्ज़म आयतुल्लाहिल-उज़मा ख़ामेनई की इल्मी व फिक्री क़ियादत की तारीफ़ करते हुए कहा, उनकी निगरानी में हौज़ा ए इल्मिया क़ुम आज भी तरक़्क़ी की राह पर गामज़न है और इंशा अल्लाह यह सिलसिला इमाम ज़माना अ.स.के ज़ुहूर तक जारी रहेगा।

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