हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,जमात ए इस्लामी बलूचिस्तान के अमीर और विधानसभा सदस्य मौलाना हिदायतुर रहमान बलोच ने कहा है कि इमाम ख़ुमैनी का नाम मज़लूमों की हिफ़ाज़त और संघर्ष की निशानी है। ईमानदारी और निष्ठा के साथ जनता के हक़ हासिल करने और ज़ुल्म-ओ-जबर के ख़िलाफ़ संघर्ष करना वक़्त की अहम ज़रूरत है।
फ़िलिस्तीन के ग़ाज़ा के मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों के ज़िम्मेदार अमेरिका और इस्राइल के साथ-साथ मुस्लिम शासक और सेनापति भी हैं। मुस्लिम देशों के पास लाखों सैनिक, हथियार, गोला-बारूद और यहाँ तक कि परमाणु बम होने के बावजूद ग़ाज़ा में नरसंहार जारी है।
उन्होंने ये विचार कोएटा में इस्लामी क्रांति के बानी आयतुल्लाह रूहुल्लाह ख़ुमैनी रह. की पुण्यतिथि के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए। मौलाना हिदायतुर रहमान ने कहा कि इमाम ख़ुमैनी का नाम मज़लूमों की हिफ़ाज़त, संघर्ष और इस्लामी ग़ैरत की पहचान है।
मज़लूमों को उनके हक़ दिलाने के लिए क्रांति की ज़रूरत है। इमाम ख़ुमैनी ने इस्लामी क्रांति के ज़रिए न सिर्फ़ ईरान को जगाया बल्कि पूरी दुनिया के मज़लूमों ख़ासकर फ़िलिस्तीनी लोगों के लिए आवाज़ बुलंद की।
उन्होंने कहा कि इमाम ख़ुमैनी का संदेश आज भी ज़ुल्म के ख़िलाफ़ संघर्ष करने वालों के लिए मशाल-ए-राह है और फ़िलिस्तीन की आज़ादी पूरी इस्लामी उम्माह की सामूहिक ज़िम्मेदारी है।
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