हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,ईरान की इस्लामी क्रांति के संस्थापक इमाम ख़ुमैनी की पहल पर हर साल रमज़ान के आख़िरी शुक्रवार को दुनिया भर में विश्व क़ुद्स दिवस ज़बरदस्त उत्साह के साथ मनाया जाता है।
इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद फ़िलिस्तीनियों के समर्थन और ज़ायोनी शासन के क़ब्ज़े से फ़िलिस्तीनी इलाक़ों की आज़ादी के लिए पहली बार 1979 में विश्व क़ुद्स दिवस मनाया गया।
इस्लामी गणतंत्र की बुनियाद को समझने के लिए फ़िलिस्तीन और फ़िलिस्तीनी काज़ के महत्व को समझना ज़रूरी है।
1979 में इस्लामी गणतंत्र की स्थापना के बाद से ही इसके महत्व पर बल दिया है, यहां तक कि उससे पहले भी इमाम ख़ुमैनी की राजनीतिक विचारधारा में इसकी झलक स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है।
1963 में इमाम ख़ुमैनी ने क़ुम में अपने एक ख़ुत्बे में ज़ायोनी शासन के साथ सहयोग के लिए पहलवी शासन की सार्वजनिक रूप से आलोचना की थी।
इसलिए विश्व क़ुद्स दिवस न सिर्फ़ ज़ायोनी शासन के अत्याचारों की निंदा के लिए मनाया जाता है, बल्कि साम्राज्यवादी शक्तियों की साज़िशों के प्रति इस्लामी उम्मत को जागरुक और एकजुट रखने करने के लिए इसका आयोजन ज़रूरी है।
हर साल की तरह इस साल भी ईरान समेत पूरी दुनिया में मुसलमान, ज़ायोनी शासन के ख़िलाफ़ रैलियों और प्रदर्शनों का आयोजन कर रहे हैं और फ़िलिस्तीनियों के प्रतिरोध और संघर्ष के प्रति अपना समर्थन जता रहे हैं।