हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार,ईरान की प्यारी और महान कौम पर अनगिनत दरूद व सलाम,सबसे पहले, मैं हाल की घटनाओं में शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।शहीद कमांडरों और शहीद वैज्ञानिकों को, जो वास्तविक अर्थों में इस्लामी गणतंत्र (ईरान) के लिए अमूल्य थे, उन्होंने महान सेवाएँ प्रदान कीं और आज अल्लाह की बारगाह में अपनी उत्कृष्ट सेवाओं का प्रतिफल प्राप्त कर रहे हैं, इंशाअल्लाह।
ईरान पर दुष्ट ज़ायोनी शासन के हमले और इसमें ईरानी क़ौम की कामयाबी के बाद, इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने टेलिवीजन पर 26 जून 2025 को राष्ट्र को संबोधित किया जो इस प्रकार है:
अज़ीज़ और महान ईरानी क़ौम को बेशुमार सलाम व दुरूद,पहले हालिया वाक़यों में शहीद होने वालों को श्रद्धांजलि पेश है। शहीद जनरल, शहीद वैज्ञानिक सचमुच हक़ीक़त में इस्लामी गणराज्य के लिए बहुत क़ीमती थे और उन्होंने सेवा की और आज अल्लाह की बारगाह में अपनी महान सेवाओं का बदला पा रहे होंगे इंशाअल्लाह।
ज़रूरी समझता हूं कि महान ईरानी क़ौम को मुबारकबाद दूं; क़ौम को कई मुबारकबाद देना चाहता हूं:
एक, अवैध ज़ायोनी शासन पर फ़तह की मुबारकबाद इतने शोर-शराबे, इतने दावों के बावजूद, ज़ायोनी शासन इस्लामी गणराज्य के वार से क़रीब क़रीब ढह गया और कुचल दिया गया। यह बात कि इस्लामी गणराज्य की ओर से ऐसे वार मुमकिन है इस शसान पर हों उनके मन में, उनके ख़याल में नहीं आती थी, जबकि ऐसा हुआ।
अल्लाह का शुक्रगुज़ार हूं कि उसने हमारी आर्म्ड फ़ोर्सेज़ की मदद की, जो उनके कई परतों वाले विकसित डिफ़ेंस को भेद सकीं और उनके बहुत से नगरीय और सैन्य इलाक़ों को अपने मीज़ाइलों की बौछार से अपने मज़बूत आधुनिक हथियारों से मिट्टी में मिला दिया।
यह अल्लाह की बड़ी नेमतों में से एक है। यह इस बात की निशानी है कि ज़ायोनी शासन जान ले कि इस्लामी गणराज्य ईरान पर हमला, उसे बहुत महंगा पड़ता है। उसे भारी क़ीमत चुकानी पड़ेगी। उसे भारी नुक़सान उठाना पड़ेगा, और बेहम्दिल्लाह ऐसा ही हुआ।
यह गौरव हमारी आर्म्ड फ़ोर्सेज़ और हमारी अज़ीज़ क़ौम के सिर है कि जिसने इन आर्म्ड फ़ोर्सेज़ को अपने भीतर से वजूद से दिया उनकी ट्रेनिंग की, उनका सपोर्ट किया और उनके हाथों को ऐसे बड़े कारनामे के लिए मज़बूत किया और इसका मौक़ा मुहैया किया।
दूसरी मुबारकबाद अमरीकी सरकार पर हमारे अज़ीज़ ईरान की फ़तह को लेकर है। अमरीकी सरकार सीधे तौर पर जंग में कूद पड़ी क्योंकि उसे लगा कि अगर वह नहीं कूदी तो ज़ायोनिस्ट रेजीम पूरी तरह मिट जाएगी। जंग में कूदी ताकि उसे बचाए लेकिन इस जंग से उसे कुछ हासिल नहीं हुआ। हमारे न्युक्लियर सेंटरों पर हमला किया कि निश्चित तौर पर यह अंतर्राष्ट्रीय न्यायलय में दंडनीय आयाम से मुक़दया चलाए जाने के योग्य है, लेकिन कुछ ख़ास नहीं कर पाए।
अमरीकी राष्ट्रपति ने जो वाक़या हुआ उसे बहुत बढ़ा चढ़ा कर पेश किया पता चला कि उन्हें इसको बढ़ा चढ़ा कर दिखाने की ज़रूरत पड़ी। जो भी इन बातों को सुनता था, समझ जाता था कि इन बातों के पीछे दूसरी सच्चाई छिपी हुयी है। कुछ न कर सके, जो हासिल करना चाहते थे, न कर सके। बढ़ा चढ़ा कर पेश करते हैं ताकि हक़ीक़त को छिपाएं और उस पर पर्दा डाल दें।
यहाँ भी इस्लामी गणराज्य को कामयाबी मिली और इस्लामी गणराज्य ने पलट कर अमरीका को बहुत ज़ोरदार थप्पड़ लगाया। क्षेत्र में अमरीका की बड़ी अहम छावनियों में से एक अल-उदैद बेस पर हमला किया और उसे नुक़सान पहुंचाया। जिन लोगों ने उस वाक़ए को बढ़ा चढ़ा कर दिखाया था उन्हीं लोगों ने इस वाक़ए को बहुत छोटा करके दिखाने की कोशिश की उन्होंने कहा कि कुछ नहीं हुआ जबकि बहुत बड़ा वाक़या था।
इस्लामी गणराज्य की क्षेत्र में अमरीका के अहम सेंटरों तक पहुंच हो और जब ज़रूरत हो उसके ख़िलाफ़ कार्यवाही करे यह छोटी बात नहीं है, यह बड़ा वाक़या है। भविष्य में भी यह वाक़या दोहराया जा सकता है, अगर हमला हुआ तो दुश्मन को पहुंचने वाला नुक़सान, हमलावर को होने वाला नुक़सान निश्चित तौर पर बहुत ज़्यादा होगा।
तीसरी मुबारकबाद ईरानी क़ौम की बेमिसाल एकता पर पेश करनी है। बेहम्दिल्लाह क़रीब 9 करोड़ की आबादी वाली क़ौम एक साथ, एक सुर में, कंधे से कंधा मिलाए एक दूसरे के साथ, एक मुतालेबा और जो मक़सद ज़ाहिर कर रही है, उसके लिए डट गयी, नारा लगाया, अपने व्यवहार से आर्म्ड फ़ोर्सेज़ का सपोर्ट किया, आगे भी ऐसा ही होगा। ईरानी क़ौम ने इस वाक़ए में अपनी महानता का अपनी अज़ीम शख़्सियत का परिचय दिया और यह दर्शा दिया कि ज़रूरत पड़ने पर इस क़ौम से एक सुर सुनाई देगा और बेहम्दिल्लाह ऐसा हुआ।
एक बात जिसे मैं मूल बिंदु के तौर पर पेश करना चाहता हूं यह है कि अमरीकी राष्ट्रपति ने अपने एक बयान में, एक वकतव्य में कहा, "ईरान सरेंडर हो जाए।" आत्मसमर्पण कर दे अस्ल बात युरेनियम संवर्धन नहीं है, परमाणु उद्योग का विषय नहीं है, ईरान के सरेंडर होने का विषय है। ख़ैर यह बात अमरीकी राष्ट्रपति के मुंह से छोटा मुंह बड़ी बात जैसी है।
महान ईरान, उज्जवल इतिहास वाला यह ईरान, संस्कृति से मालामाल यह ईरान ऐसे राष्ट्रीय संकल्प के मालिक ईरान से ऐसे मुल्क से सरेंडर की बात करना, उन लोगों के लिए हास्यास्पद है जो ईरानी क़ौम को पहचानते हैं। लेकिन उसके बयान से एक सच्चाई से पर्दा उठ गया; अमरीकी इस्लामी इंक़ेलाब के आग़ाज़ से इस्लामी ईरान से लड़ रहे हैं, ज़ोर आज़माई कर रहे हैं।
हर बार कोई बहाना निकाल लेते हैं। एक बार मानवाधिकार है, एक बार डेमोक्रेसी की रक्षा का बहाना पेश करते हैं एक बार महिला अधिकार है, एक बार यूरेनियम संवर्धन को बहाने के तौर पर पेश करते हैं, एक बार मूल रूप से परमाणु विषय है, एक बार मीज़ाईल बनाने का विषय है; मुख़्तलिफ़ बहाने पेश करते हैं लेकिन अस्ल बात सिर्फ़ एक है और वह ईरान से सरेंडर कराना है पहले वाले इस तरह की बात नहीं करते थे, क्योंकि यह बात स्वीकार्य नहीं हो सकती, किसी भी तर्क के मुताबिक़ यह बात स्वीकार्य नहीं है कि किसी क़ौम से कहा जाए सरेंडर करो, इसलिए उसे किसी न किसी नाम से छिपाते थे।
इस आदमी ने पर्दा उठा दिया, सच्चाई को ज़ाहिर कर दिया समझाया कि अमरीकी सिर्फ़ ईरान के सरेंडर करने पर राज़ी होंगे इससे कम पर नहीं और यह एक अहम बिंदु है। ईरानी क़ौम जान ले कि अमरीका के साथ इस बात को लेकर टकराव है और अमरीकी, ईरानी क़ौम का इतना बड़ा अपमान करना चाहते हैं और ऐसा वाक़या कभी नहीं होगा। हरगिज़ नहीं होगा।
ईरानी क़ौम महान क़ौम है ईरान ताक़तवर और विशाल देश है, प्राचीन सभ्यता का मालिक है। हमारी संस्कृति और सभ्यता की धऱोहर अमरीका और उसके जैसों से सैकड़ों गुना ज़्यादा है। कोई यह अपेक्षा रखे कि ईरान किसी देश के आगे सरेंडर होगा यह एक निरर्थक बात है जो निश्चित तौर पर अक़्लमंद और समझदार लोगों के लिए हास्यास्पद होगी। ईरानी क़ौम ताक़तवर है और ताक़तवर रहेगी। फ़ातेह है और अल्लाह की तौफ़ीक़ से फ़ातेह रहेगी।
और मुझे उम्मीद है कि अल्लाह इस क़ौम को अपने लुत्फ़ के साए में हमेशा इज़्ज़त और महानता के साथ सुरक्षित रखेगा। हमारे महान इमाम (इमाम ख़ुमैनी) के दर्जे को बुलंद करेगा। ज़मीन पर अल्लाह की आख़िरी हुज्जत इमाम महदी को जिन पर हमारी जानें क़ुर्बान, हमसे राज़ी और ख़ुश रखेगा। और वह महान हस्ती इस क़ौम की मददगार रहेगी।
आप सब पर सलाम और अल्लाह की रमहत और बरकत हो
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