बुधवार 4 जून 2025 - 16:28
ईरानी क़ौम अपने फ़ैसले की मालिक है और ईरान में संवर्धन के विषय से अमरीका का कोई लेना देना नहीं होना चाहिए

हौज़ा / इस्लामी क्रांति के नेता ने आज बुधवार 4 जून 2025 को इमाम ख़ुमैनी की 36वीं बरसी के मौक़े पर, उनके मज़ार पर तक़रीर में उन्हें इस्लामी गणराज्य ईरान की शक्तिशाली मज़बूत और विकसित हो रही व्यवस्था का महान निर्माता बताया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,इस्लामी क्रांति के नेता ने आज बुधवार 4 जून 2025 को इमाम ख़ुमैनी की 36वीं बरसी के मौक़े पर, उनके मज़ार पर तक़रीर में उन्हें इस्लामी गणराज्य ईरान की शक्तिशाली मज़बूत और विकसित हो रही व्यवस्था का महान निर्माता बताया।

उन्होंने बल दिया कि इस महान हस्ती के निधन के 36 साल बाद, बड़ी ताक़तों के पतन, कई ध्रुवीय व्यवस्था के वजूद में आने, अमरीका की स्थिति और प्रभाव में तेज़ी से गिरावट, ज़ायोनीवाद से योरोप और अमरीका में भी नफ़रत और क़ौमों में जागरुकता और उनकी ओर से पश्चिमी मूल्यों को नकारने जैसे मसलों में इमाम ख़ुमैनी के वजूद और उनके इंक़ेलाब के प्रभाव को महसूस किया जा सकता है।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने एक धर्मगुरू के ज़रिए ईरानी क़ौम के संगठित होने, सिर से पैर तक हथियारों से लैस पिट्ठू पहलवी शासन के ख़िलाफ़ इमाम (ख़ुमैनी) और क़ौम की ख़ाली हाथों सफलता और ईरान से मुफ़्त का खाने और लूटने वाले अमरीकियों और ज़ायोनियों की बिसात लपेटे जाने जैसे मामलों में पश्चिम की अंदाज़े की ग़लती की ओर इशारा करते हुए कहा कि पश्चिम वालों की अंदाज़े की दूसरी ग़लती इमाम (ख़ुमैनी) की तद्बीर और कोशिशों से इस्लामी गणराज्य व्यवस्था का क़ायम होना था।

इस्लामी इंकेलाब के नेता ने इस बात का ज़िक्र करते हुए कि अमरीकियों को ईरान में एक ऐसी सरकार के सत्ता में आने की उम्मीद थी जो उनके साथ साठगांठ करेगी और उनके अवैध हितों को फिर से सुनिश्चित करेगी, कहा कि इमाम (ख़ुमैनी) ने ईरान में इस्लामी और धार्मिक व्यवस्था पर आधारित एक सिस्टम क़ायम करने के अपने स्पष्ट दृष्टिकोण से, अमरीकियों की इस उम्मीद को भी ख़ाक में मिला दिया और वहीं से दुश्मनों की नुक़सान पहुंचाने वाली साज़िशें शुरू हुयीं।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इस्लामी इंक़ेलाब के ख़िलाफ़ दुश्मनों की कुछ योजनाओं का ज़िक्र करते हुए, इन योजनाओं की विविधता और तीव्रता को तत्कालीन क्रांतियों के इतिहास में अभूतपूर्व बताया और कहा कि इन सभी साज़िशों के पीछे, साम्राज्यावादी सरकारें ख़ास तौर पर अमरीका, ज़ायोनी सरकार और अमरीका की सीआईए, ब्रिटेन की एमआई-6 और क़ाबिज़ ज़ायोनी सरकार की मोसाद जैसी ख़ुफ़िया एजेंसियों का हाथ रहा है।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इन घटिया और नुक़सानदेह कृत्यों का लक्ष्य इस्लामी गणराज्य को कमज़ोर करना बताया और बल दिया कि इन साज़िशों के मुक़ाबले में इस्लामी गणराज्य न सिर्फ़ यह कि कमज़ोर नहीं हुआ बल्कि पूरी ताक़त से अपने रास्ते पर आगे बढ़ रहा है और आगे भी इसी तरह बढ़ता रहेगा।

उन्होंने विलायते फ़क़ीह अर्थात वरिष्ठ धार्मिक नेतृत्व और राष्ट्रीय स्वाधीनता को इमाम ख़ुमैनी के तर्क के दो स्तंभ बताते कहा कि धार्मिक स्वरूप का रक्षक और इंक़ेलाब को भटकने से बचाने वाला वरिष्ठ धार्मिक नेतृत्व, अवाम की भावना और उसके ईमान पर आधारित बलिदान से निकला है और राष्ट्रीय स्वाधीनता भी इमाम ख़ुमैनी के विचारों और लक्ष्यों में शामिल है।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने कहा कि राष्ट्रीय स्वाधीनता का मतलब ईरान और क़ौम दूसरों के सहारे के बिना अपने पैर पर खड़ी हो; अमरीका और उसके जैसों से अपेक्षा न रखे; अपनी समझ से फ़ैसला ले और ज़रूरी क़दम उठाए।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने दुश्मनों की ईरानी क़ौम में "हम कर सकते हैं" की भावना को ख़त्म करने की योजना को, इस बहुमूल्य तत्व को पहचानने की अहमियत का चिन्ह बताया और कहा कि इस वक़्त इसी परमाणु मामले और ओमान की मध्यस्थता से होने वाली बातचीत में, अमरीकियों ने जो योजना पेश की है वह "हम कर सकते हैं" के 100 फ़ीसदी ख़िलाफ़ है।

उन्होंने कहा कि प्रतिरोध का मतलब अक़ीदे के मुताबिक़ अमल और बड़ी ताक़तों की धमकियों और इरादे के सामने न झुकना, राष्ट्रीय स्वाधीना के दूसरे तत्व हैं।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने अपनी स्पीच के दूसरे भाग में परमाणु मसले की व्याख्या करते हुए कहा कि परमाणु उद्योग मूल उद्योग है और विशेषज्ञों के मुताबिक, न्यूक्लियर फ़िज़िक्स, एनर्जी इंजीनियरिंग, मटीरियल इंजीनियरिंग जैसी इंजीनियरिंग और बेसिक साइंस और इसी तरह मेडिकल, एरोस्पेस और इलेक्ट्रानिक्स के सटीक सेंसरों जैसी अहम व सूक्ष्य टेक्नालोजी, परमाणु उद्योग पर निर्भर या उससे प्रभावित है।

उन्होंने यूरेनियम संवर्धन के बिना विशाल परमाणु उद्योग से संपन्नता के बेफ़ायदा होने की वजह बताते हुए कहा कि यूरेनियम संवर्धन और ईंधन के उत्पादन की सहूलत के बिना, 100 परमाणु बिजलीघर भी बेफ़ायदा हैं क्योंकि ईंधन की आपूर्ति के लिए अमरीका की ओर हाथ फैलाना पड़ेगा और वे संभव है इस काम के लिए दसियों शर्त लगाएं जैसा कि इक्कीसवीं सदी के पहले दशक में 20 फ़ीसदी संवर्धित ईंधन की आपूर्ति में हमें इस बात का अनुभव हो चुका है।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने 3.5 फ़ीसदी संवर्धित युरेनियम के बदले में आंतरिक ज़रूरत की पूर्ति के लिए 20 फ़ीसदी संवर्धित युरेनियम लेने की तत्कालीन अमरीकी राष्ट्रपति की दरख़ास्त पर ईरान के दो दोस्त मुल्कों की मध्यस्थता करने की घटना की ओर इशारा करते हुए कहा कि उस समय अधिकारी इस काम के लिए तैयार हो गए थे और मैंने भी कहा था कि सामने वाला पक्ष 20 फ़ीसदी संवर्धित युरेनियम बंदर अब्बास पहुंचाए और हम टेस्ट करने के बाद, यह मामला अंजाम देंगे और जब उन्होंने हमारी महारत और इसरार को देखा तो अपनी बात से पलट गए और हमको 20 फ़ीसदी संवर्धित ईंधन नहीं दिया।

उन्होंने कहा कि राजनैतिक नोंक-झोंक के उसी दौर में हमारे साइंटिस्टों ने मुल्क के भीतर 20 फ़ीसदी संवर्धित ईंधन के उत्पादन का कारनामा अंजाम दिया।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने, परमाणु मामले में अमरीकियों का बुनियादी मुतालबा, ईरान को इस उद्योग और इससे अवाम को होने वाले अनेक फ़ायदों से पूरी तरह महरूम करना बताया और कहा कि अमरीका के बेअदब और दुस्साहसी नेता, इस इच्छा को मुख़्तलिफ़ तरीक़े से दोहराते हैं।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने इस बात पर बल देते हुए कि अमरीका की विवेकहीन और शोरग़ुल मचाने वाली सरकार की बकवास पर हमारा जवाब स्पष्ट है, कहा कि आज हमारे परमाणु उद्योग के नट-बोल्ट पहले से ज़्यादा कसे जा चुके हैं और अमरीकी और ज़ायोनी अधिकारी जान लें कि वे इस संबंध में कुछ बिगाड़ नहीं सकते।

उन्होंने ईरान के परमाणु उद्योग के अमरीका और दूसरे विरोधियों के दावों पर क़ानून के आधार पर सवाल उठाते हुए कहा कि हम उनसे यह कहना चाहते हैं कि ईरानी क़ौम एक स्वाधीन क़ौम है, आप कौन होते हैं और किस आधार पर युरेनियम संवर्धन करने या न करने के हमारे अधिकार के मसले में हस्तक्षेप कर रहे हैं?

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने अपनी स्पीच के अंत में ग़ज़ा में ज़ायोनी शासन के नाक़ाबिले यक़ीन अपराधों की ओर इशारा करते हुए कि जो वह खाद्य पदार्थ बांटने के नाम पर लोगों को गोलियों से भून रहा है, कहा कि इस हद तक पस्ती, दुष्टता, निर्दयता और शैतानी पर सचमुच हैरत होती है।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने अमरीकियों को भी ज़ायोनी शासन के अपराधों में भागीदार बताते हुए कहा कि यही वजह है जो हम अमरीका के इस इलाक़े से निकलने का मुतलबा कर रहे हैं।

उन्होंने इस्लामी सरकार की ज़िम्मेदारियों को अहम बताते हुए बल दिया कि यह वक़्त सोचने, एहतियात बरतने, निष्पक्षता दिखाने और ख़ामोश रहने का नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर कोई इस्लामी सरकार किसी भी रूप में और किसी भी नाम से चाहे संबंध सामान्य करके, चाहे फ़िलिस्तीनी अवाम को मदद पहुंचाने के रास्ते को बंद करके और चाहे ज़ायोनियों के अपराधों का औचित्य पेश करके, इस शासन का सपोर्ट करती है, वो जान ले कि उसके माथे पर हमेशा क्लंक का टीका लगा रहेगा।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने ज़ायोनियों से सहयोग पर परलोक और अल्लाह की ओर से बदले को बहुत ही कठोर और भारी बताया और कहा कि इस दुनिया में भी क़ौमें इन ग़द्दारियों को भूलेंगी नहीं, इसके अलावा ज़ायोनी शासन के सहारे कोई सरकार सुरक्षित नहीं हो सकती क्योंकि यह शासन अल्लाह के अटल फ़ैसले के नतीजे में बिखर रहा है और ऐसा होने में ज़्यादा वक़्त नहीं लगेगा

टैग्स

आपकी टिप्पणी

You are replying to: .
captcha