रविवार 24 अगस्त 2025 - 20:26
ईरानी क़ौम उसके मुक़ाबले में पूरी ताक़त से डट जाएगी जो यह अपेक्षा रखता है कि वह अमरीका के हुक्म के आगे झुक जाए

हौज़ा / हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के शहादत दिवस पर रविवार 24 अगस्त 2025 की सुबह तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मजलिस में शिरकत की और इस मजलिस में समाज के विभिन्न वर्गों के बड़ी तादाद में आए लोगों से मुलाक़ात में, आठवें इमाम की शहादत पर सांत्वना पेश की और उन्हें ईरानियों के लिए नेमतों का स्रोत बताया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के शहादत दिवस पर रविवार 24 अगस्त 2025 की सुबह तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मजलिस में शिरकत की और इस मजलिस में समाज के विभिन्न वर्गों के बड़ी तादाद में आए लोगों से मुलाक़ात में, आठवें इमाम की शहादत पर सांत्वना पेश की और उन्हें ईरानियों के लिए नेमतों का स्रोत बताया।

उन्होंने बल दिया कि अहलेबैत का मत, आठवें इमाम के ख़ुरासान सफ़र के नतीजे में, एकांत की स्थिति से बाहर निकला और शियों को मनोबल मिला कि जिसके नतीजे में वह उन्हें इतिहास में सुरक्षित कर सका और अहलेबैत के अनुयाइयों के दायरे को हर दिन विकसित करता गया।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने आशूरा के मक़सद के प्रचार में तेज़ी को आठवें इमाम के ख़ुरासान के सफ़र का अहम नतीजा बताया और कहा कि हज़रत इमाम रज़ा (अ) ने आशूरा आंदोलन की ओर अवाम के ध्यान को मोड़कर उसके मक़सद यानी "अन्याय के ख़िलाफ़ संघर्ष" और "भ्रष्ट लोगों को इस्लामी समाज में स्थान न देने" को अवाम की सोच का केन्द्र क़रार दिया।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने अपनी स्पीच के दूसरे भाग में ज़ोर दिया कि हालिया थोपी गयी जंग में ईरानी क़ौम की पूरी भरपूर दृढ़ता के नतीजे में, दुनिया के लोगों की निगाह में ईरानी क़ौम की विशेष महानता और इज़्ज़त बढ़ी। उन्होंने सवालिया अंदाज़ में पिछले 45 साल में ईरान से अमरीकी सरकारों की लगातार दुश्मनी का सबब पूछा?

उन्होंने इस सवाल के जवाब में कहा कि अमरीकी अतीत में आतंकवाद, मानवाधिकार, प्रजातंत्र, महिलाओं के मसले और इन जैसी चीज़ों से इस दुश्मनी की अस्ल वजह को छिपाते थे या कहते थे कि वे ईरानी क़ौम के व्यवहार को बदलना चाहते हैं लेकिन इस शख़्स ने जिसके हाथ में आज कल अमरीका की सत्ता है, राज़ खोल दिया और कहा कि "हम चाहते हैं कि ईरान हमारी बात माने।" यानी हक़ीक़त में हम चाहते हैं कि ईरानी क़ौम और इस्लामी गणराज्य सिस्टम हमारे हुक्म पर अमल करे।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने अमरीकियों के इस बुरे लक्ष्य की गहराई को समझने की अहमियत पर बल दिया और कहा कि वे चाहते हैं कि ईरान कि जिसके पास इतना बड़ा इतिहास और इतने सम्मान और कारनामे की मालिक क़ौम है, अमरीका के हुक्म का पाबंद बन जाए।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता का कहना था कि जो लोग यह कहते हैं कि आप अमरीका से सीधे तौर पर वार्ता क्यों नहीं करते और मसलों को हल क्यों नहीं करते, वे सतही नज़र रखते हैं क्योंकि मामले की हक़ीक़त यह नहीं है और ईरान से दुश्मनी के अमरीकी लक्ष्य की वजह से ये मसले हल नहीं हो सकते।

उन्होंने ईरानी क़ौम को अपने अधीन करने के लिए अमरीकी अधिकारियों के बयानों और करतूतों को ईरानियों का अपमान क़रार दिया और बल दिया कि क़ौम ऐसी घटिया अपेक्षा से सख़्त नाराज़ है और इस मुतालबे के ख़िलाफ़ पूरी ताक़त से खड़ी है।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने बल देकर कहा कि उन्होंने ज़ायोनी सरकार को उकसाया और मदद की ताकि वह अपने ख़याल में इस्लामी गणराज्य का काम तमाम कर दे क्योंकि उन्हें यह गुमान नहीं था कि ईरानी क़ौम उनके सामने डट जाएगी और ऐसा ज़ोरदार मुक्का मारेगी कि वे पछताने पर मजबूर हो जाएंगे।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने जंग शुरू होने के एक दिन बाद योरोप में अमरीका के कुछ तत्वों की बैठक की ओर इशारा करते हुए कहा कि वे अपने घटिया लक्ष्य को हासिल करने की ओर से इतना ख़ुशफ़हमी का शिकार और संतुष्ट थे कि हमले शुरू होने के एक दिन बाद ही वैकल्पिक सरकार के निर्धारण के लिए बैठक बुलायी और नरेश निर्धारित कर दिया।

उन्होंने इन मूर्खों के बीच एक ईरानी की मौजूदगी की ओर इशारा करते हुए कहा कि उस ईरानी के मुंह पर ख़ाक हो जो अपने मुल्क के ख़िलाफ़ और ज़ायोनीवाद तथा अमरीका के हित में काम कर रहा है।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने अवाम और सिस्टम के बीच दूरी की कल्पना को उनके दुश्मनों और उनके किराए के टट्टुओं की ख़ुशफ़हमी क़रार दिया और कहा कि ईरानी क़ौम ने सरकार, आर्म्ड फ़ोर्सेज़ और सिस्टम के साथ खड़े होकर उन सबके मुंह पर ज़ोरदार मुक्का मारा।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इस्लामी गणराज्य की आर्म्ड फ़ोर्सेज़ की ताक़त की नुमाइश को स्थिति का रुख़ बदल जाने का सबब बताया और कहा कि हम और पूरी ईरानी क़ौम आर्म्ड फ़ोर्सेज़ के कारनामे पर शुक्रिया अदा करते हैं और भविष्य में भी ईरान और उसकी आर्म्ड फ़ोर्सेज़ की ताक़त और क्षमता दिन ब दिन बढ़ती जाएगी।

उन्होंने आगे कहा कि इस्लामी गणराज्य पिछले 45 बरसों में इन दुश्मनियों के बावजूद दिन ब दिन ज़्यादा मज़बूत होता गया और दुश्मन को भी यह एहसास हो गया है कि इस्लामी गणराज्य को झुकाने का रास्ता हथियार का इस्तेमाल नहीं बल्कि मुल्क के भीतर फूट डालना है।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने अपनी स्पीच में ज़ायोनी सरकार को दुनिया के अवाम की न

ज़र में सबसे घृणित सरकार क़रार दिया और कहा कि आज पश्चिमी सरकारें जैसे ब्रिटेन और फ़्रांस भी जो हमेशा ज़ायोनी सरकार की समर्थक रही हैं उसकी निंदा कर रही हैं, अलबत्ता यह निंदा ज़बानी जमाख़र्च और बेफ़ायदा है।

उन्होंने ज़ायोनी सरकार के मौजूदा सरग़नाओं के जुर्म जैसे भूख और प्यास को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करके बच्चों के क़त्ल और खाने की लाइन में उन्हें फ़ायरिंग से मारने को इंसानी इतिहास में ऐसी घटना क़रार दिया जिसकी मिसाल नहीं मिलती और कहा कि इन घिनौने अपराधों के सामने डट कर खड़ा हो जाना चाहिए अलबत्ता ज़बानी भर्त्सना करना बेफ़ायदा है बल्कि बहादुर यमनी अवाम की तरह ऐसा करना चाहिए कि ज़ायोनी सरकार की मदद के रास्ते हर ओर से बंद हो जाएं।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने इस्लामी गणराज्य की हर संभव तैयारी का एलान करते हुए उम्मीद जतायी कि अल्लाह ईरानी क़ौम और दुनिया के सत्य के रास्ते पर चलने वालों के आंदोलन को बरकत देकर इस घातक और पुराने कैंसर की जड़ को क्षेत्र से उखाड़ फेंके और मुसलमान क़ौमों को जागरुक बनाए और आपस में एकजुट करे।

उन्होंने मुल्क के मुख़्तलिफ़ क्षेत्रों में अमरीका और ज़ायोनीवाद के एजेंटों और ग़ाफ़िल वक्ताओं और लेखकों को मतभेद और फूट डालने वाले तत्व क़रार दिया और कहा कि आज अलहम्दुलिल्लाह अवाम एकजुट हैं, अगरचे राजनैतिक और सामाजिक मामलों में मतभेद रखते हैं लेकिन सिस्टम और मुल्क की रक्षा और दुश्मन के सामने डट जाने के सिलसिले में सब एकजुट हैं और यह एकता दुश्मनों की आक्रामकता और हमले की राह में रुकावट है और इसी वजह से वे इस एकता को ख़त्म करने पर तुले हुए हैं।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने राष्ट्रीय एकता की रक्षा को एक सामाजिक फ़रीज़ा क़रार दिया और मुल्क के सेवकों ख़ास तौर पर राष्ट्रपति का सपोर्ट करने पर बल दिया।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई का कहना था कि अवाम का आपस में एकजुट रहना, अवाम और सरकार के बीच एकता, सिस्टम के ज़िम्मेदार लोगों का आपस में और अवाम और आर्म्ड फ़ोर्सेज़ का एकजुट रहना, एक अपरिहार्य ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि लक्षण और निशानियां बताती हैं कि आज दुश्मन की सबसे बड़ी कोशिश इस समन्वय, समरस्ता और आपसी सहयोग को छिन्न भिन्न करने पर केन्द्रित है।

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