हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,ईरान के राष्ट्रपति मसूद पिज़ेश्कियान ने कहा है कि स्वास्थ्य कर्मियों, विशेष रूप से नर्सों ने कोरोना महामारी के दौरान की तरह, मैदान नहीं छोड़ा और युद्ध के खतरनाक पलों में घायलों के ज़ख्मों पर मरहम लगाते हुए देश के चिकित्सा इतिहास में एक और स्वर्णिम अध्याय जोड़ा हैं।
अपने संदेश में, राष्ट्रपति पिज़ेश्कियान ने12-दिवसीय थोपे गए युद्ध के दौरान चिकित्सा कर्मियों, खासकर नर्सों की सेवाओं की सराहना की और उनके प्रयासों को देश की स्वास्थ्य प्रणाली के इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया।
उन्होंने जोर देकर कहा कि नर्सों ने कोरोना महामारी की तरह ही युद्ध की कठिन परिस्थितियों में घायलों का इलाज किया और दुःखी परिवारों की पूरी मदद की।
पिज़ेश्कियान ने ज़ायोनी शासन द्वारा थोपी गई आक्रामकता के दौरान देश की रक्षा और सेवाओं को जारी रखने में सशस्त्र बलों, राहतकर्मियों, चिकित्सा कर्मियों और मीडिया की भूमिका की भी प्रशंसा की।
उन्होंने इस राष्ट्रीय एकता को दुश्मन के घिनौने मंसूबों की विफलता का कारण बताया। उन्होंने इस एकजुटता को ईरान की प्रतिष्ठा, आज़ादी और प्रगति का आधार बताया।
संदेश के अंत में, ईरान के राष्ट्रपति ने देश के चिकित्सा कर्मियों के लिए स्वास्थ्य, सफलता और शुभकामनाएं व्यक्त कीं। उन्होंने युद्ध के कठिन दिनों और उसके बाद जनता की सेवा करने वाले सभी संस्थानों और बलों का हृदय से आभार व्यक्त किया और कहा कि उनका योगदान ईरानी राष्ट्र के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा।
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