हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैय्यद हुसैन आक़ामीरी ने हज़रत मासूमा स.अ.के पवित्र मज़ार पर अपने प्रवचन में कहा कि हमारे मकतब में परीक्षाएँ समाज की प्रगति, गति, उन्नति और परिपूर्णता का कारण हैं उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत परीक्षाएँ उसी व्यक्ति के लिए और सामूहिक परीक्षाएँ समाज के लिए भलाई का साधन हैं।
उन्होंने कहा कि ईश्वरीय परंपराओं के अनुसार, परीक्षाएँ व्यक्ति और समाज की सहनशक्ति से अधिक नहीं होतीं उन्होंने कहा,हम ऐसी किसी परीक्षा में नहीं पड़ सकते जिसे सहने की हमारी क्षमता न हो, क्योंकि यह अक्ल के ख़िलाफ़ है। साथ ही, परीक्षाएँ हमारी सहनशक्ति के बराबर भी नहीं होतीं, बल्कि हमेशा हमारी सहनशक्ति से कम होती हैं।
उन्होंने कहा कि अगर कोई समाज ईश्वर पर भरोसा रखते हुए संकल्प करे, तो वह सबसे कठिन बाधाओं को पार कर सकता है। उन्होंने 12-दिवसीय युद्ध ग़ाज़ा-इज़राइल संघर्ष का उदाहरण देते हुए कहा कि लोगों ने संकल्प किया और दुश्मन के सामने डट गए, उसे पीछे धकेल दिया। अगर हर परीक्षा में ऐसा ही किया जाए, तो हमें बड़े लाभ होंगे।
उन्होंने कहा कि 12-दिवसीय युद्ध के लाभों को बनाए रखना इस बात पर निर्भर करता है कि हम इस युद्ध के पहलुओं को कितना समझते हैं। उन्होंने कहा,शैतानी तंत्र जब देखता है कि वह 'कठिन युद्ध' में जीत नहीं सकता, तो वह 'युद्ध की कहानियों' (प्रोपेगैंडा युद्ध) में खुद को विजेता साबित करने की पूरी कोशिश करता है आज हम इसी दौर से गुज़र रहे हैं। दुश्मन चाहता है कि जनमत में अपनी खोई हुई पहचान और प्रतिष्ठा को सुधारे।
आपकी टिप्पणी