हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , मौलाना ने इमाम हसन अस्करी अ.स.की सीरत पर चर्चा करते हुए कहा कि आपने अपने छोटे से जीवनकाल में इतने गहरे नक्श (प्रभाव) छोड़े हैं जो आज भी उम्मत के लिए मुक्ति का साधन हैं।
उन्होंने कहा कि इमाम हसन अस्करी (अ.स.) का वैज्ञानिक स्तर अत्यंत ऊँचा था। आपने कुरान, फ़िक़्ह (इस्लामी न्यायशास्त्र), कलाम और अख़लाक़ के क्षेत्रों में अपने शागिर्दों को प्रशिक्षित किया और अब्बासी सरकार की सख्त निगरानी के बावजूद खतों और प्रतिनिधियों के माध्यम से अपने शिया अनुयायियों तक ज्ञान और मार्गदर्शन पहुँचाया।
मौलाना अस्करी इमाम खान ने राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इमाम अ.स.का दौर अब्बासी ज़ुल्म और दमन का समय था। शासकों को इस बात का डर सताता था कि इमाम मेहदी (अ.स.) का जन्म हो चुका है और वह उनके ताने-बाने को समाप्त कर देंगे, इसी वजह से इमाम अस्करी (अ.स.) को नज़रबंद रखा गया था। इन परिस्थितियों में भी इमाम ने अपने मानने वालों को संगठित रखा और उन्हें बौद्धिक और आध्यात्मिक रूप से मज़बूत किया।
उन्होंने आगे कहा कि इमाम हसन अस्करी (अ.स.) ने एक मज़बूत नेटवर्क के रूप में वकील नियुक्त किए थे जो शिया समाज के संपर्क में रहते थे, यही प्रणाली बाद में ग़ैबत-ए-सुग़रा (छोटी अदृश्यता) के लिए आधार साबित हुई। इमाम ने अपने अनुयायियों को नसीहत फ़रमाई कि वे दीन पर डटे रहें, उलमा (धर्मगुरुओं) का अनुसरण करें और अपने चरित्र के माध्यम से इस्लाम की सही तस्वीर पेश करें।
इमाम मेहदी अ.स. के ज़हूर के बारे में बात करते हुए मौलाना अस्करी इमाम खान ने कहा,इमाम हसन अस्करी(अ.स.) ने अपने साथियों को बार-बार बताया कि अल्लाह की हुज्जत दुनिया में मौजूद है और वह ग़ैबत के बाद ज़हूर (प्रकट) होंगे। आपने उम्मत को आश्वासन दिया कि हालाँकि ग़ैबत का दौर मुश्किल होगा, लेकिन अल्लाह अपने वली की हिफ़ाज़त करेगा और आख़िरकार दुनिया को इंसाफ़ और न्याय से भर देगा।
अंत में युवाओं को नसीहत करते हुए मौलाना अस्करी इमाम खान ने कहा: "युवाओंको चाहिए कि इमाम हसन अस्करी (अ.स.) की सीरत को सिर्फ एक ऐतिहासिक अध्याय न समझें बल्कि उसे अपने जीवन का मार्गदर्शक सिद्धांत बनाएँ।
आज के दौर में जब बौद्धिक और नैतिक भटकाव आम हैं, युवाओं को दीन का ज्ञान हासिल करना चाहिए, अपने चरित्र को संवारना चाहिए और समाज में इंसाफ़ और भलाई के ध्वजवाहक बनने चाहिए। इमाम की सीरत हमें यह सबक़ देती है कि मुश्किलात के बावजूद ईमान पर डटे रहना ही असली कामयाबी है।
आपकी टिप्पणी