हौज़ा न्यूज़ एजेंसी, जौनपुर, भारत के अनुसार; जामिया इमाम जाफ़र सादिक (अ) के सदर इमाम बाड़ा के समारोह हॉल में बड़ी संख्या में विद्वानों की उपस्थिति में "चुगली का सही और गलत इस्तेमाल" शीर्षक से एक भव्य सम्मेलन आयोजित किया गया था।
जानकारी के मुताबिक कांफ्रेंस का पहला दौर शाम चार बजे कारी फजल अब्बास आजमी की तिलावत से शुरू हुआ।
सर्वश्रेष्ठ उपदेशक सैफ आबिदी साहब ने कहा कि समय के इमाम के लिए प्रेम की आवश्यकता यह है कि इसे ग़ैबत के दौर के रूप में न देखा जाए, बल्कि इसे हुज़ूर (उपस्थिति) के दौर के रूप में माना जाए ताकि पापों से बचा जा सके। जनाब वसीम जोनपुरी और जनाब तालिब जुनपुरी ने अपनी खूबसूरत शायरी से मोमिनों के दिलों को मोह लिया।
मग़रबैन की नमाज़ के बाद, दूसरा दौर कारी अल-तमीश साहब जौनपुरी की तिलावत से शुरू हुआ। इस दौर में मौलाना ज़फर हसन खान साहब ने मोमेनीन और छात्रों को इस्लाम विरोधी शैतानों की साजिशों से अवगत किया। सबसे अच्छा तरीका इंसानियत के दुश्मनों की चालों से बचें और उनसे लड़ने का मतलब है कि हम सब वो करें जो वक्त के इमाम के ज़ोहूर होने का रास्ता तैयार करे।
बाद में विश्वविख्यात नोहा और कसीदा ख्वान जनाब फरमान साहब जंगीपुरी ने बेहतरीन कसीदा सुनाया।
कांफ़्रेंस के अंत में मौलाना सैयद मुहम्मद शाज़ान ज़ैदी और मौलाना अनबर अब्बास खान ने आए हुए सभी मेहमानों का शुक्रिया अदा किया, कार्यक्रम के आयोजकों में मौलवी काज़िम घोसवी और मौलवी ईमान बाड़ा बांकवी और जामिया के छात्रों ने बहुत मेहनत की।
सम्मेलन का समापन दुआ ए फ़रज़ इमाम ज़माना के साथ हुआ।