रविवार 14 सितंबर 2025 - 22:53
तल्बीग करना हमेशा पैगंबरों की जिंदगी का हिस्सा रहा है

हौज़ा / हुज्जतुल इस्लाम सफाहानी ने कहा, तल्बीगी पेशा पैग़म्बरों के रास्ते की निरंतरता है और इसका मकसद खुद की, समाज की और लोगों की हिदायत और तालीम है तथा उन्हें पतन से बचाना है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,खंदाब जिले के मदरस ए इल्मिया मेंहदिया के नए शैक्षणिक वर्ष का उद्घाटन समारोह आज खंदाब के इमाम जुमआ हुज्जतुल इस्लाम मोहम्मद सफाहानी की मौजूदगी में आयोजित किया गया।

हुज्जतुल इस्लाम मोहम्मद सफाहानी ने इस समारोह में नए दाखिल हुए तलबाओं का स्वागत करते हुए, खुदा और अहल-बैत अलैहिमस्सलाम के नज़रिए से तल्बीगी पेशे की अहमियत और खास स्थान पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि तल्बीगी रास्ता चुनना सबसे बेहतरीन और अहम फैसला है, जो खुदा की रज़ा के लिए स्वीकार्य है।

उन्होंने पैगंबर एकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की एक हदीस का हवाला देते हुए कहा कि दुनिया और आख़िरत की भलाई ज्ञान में है और बुराई जहालत में है।अगर खुदा किसी के लिए भलाई चाहता है तो उसे धर्म के रास्ते और सीखने की तरफ़ ले आता है।

खंदाब के इमाम जुमआ ने आगे कहा,तल्बीगी पेशा पैग़म्बरों के रास्ते की निरंतरता है और इसका मकसद खुद की, समाज की और लोगों की हिदायत और तालीम है, तथा उन्हें पतन से बचाना है।

उन्होंने तल्बीगी काम को समाज की पुनर्जीवना और इमाम ज़मान (अज) की फौज में शामिल होना बताया और इमाम जावद (अ.स.) के कथन का उल्लेख करते हुए कहा,ग़ैबात के समय अगर उलमा दीनी शुबहे का जवाब न देते तो लोग शैतान के जाल में फंस जाते।

हुज्जतुल इस्लाम मोहम्मद सफाहानी ने कहा कि एक तलबा को पहले खुद को धर्म, आचरण, हिजाब के मामले में मजबूत बनाना चाहिए और इस रास्ते पर दृढ़ रहना चाहिए ताकि वह अहल-बैत अ.स. की मंज़ूरी पा सके, फिर वह समाज को धर्म की तरफ़ मार्गदर्शन कर सके।

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