रविवार 27 जुलाई 2025 - 22:54
नमाज़ ए जुमआ इस्लामी गणतंत्र और इमाम ए मुस्लिमीन के दृष्टिकोण को स्पष्ट करने का सर्वोत्तम माध्यम है

हौज़ा / इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद पहली जुमआ की नमाज के आयोजन की वर्षगांठ के अवसर पर सेमनान जिले की जुमआ नमाज़ आयोजन समिति के सदस्यों ने वली ए फकीह के प्रतिनिधि और सेमनान के इमाम-ए-जुमआ हुज्जतुल इस्लाम वाल मुस्लिमीन मतीई से मुलाकात की।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , क्रांति की सफलता के बाद पहली जुमा की नमाज के आयोजन की वर्षगांठ के अवसर पर, सेमनान जिले की जुमा नमाज आयोजन समिति के सदस्यों ने वली-ए-फकीह के प्रतिनिधि और सेमनान के इमाम-ए-जुमा हुज्जतुल इस्लाम वाल मुस्लिमीन मतीई से मुलाकात की। 

सेमनान में यह मुलाकात इस्लामी क्रांति के बाद पहली जुमआ नमाज के आयोजन की वर्षगांठ के अवसर पर हुई, जिसमें वली-ए-फकीह के कार्यालय के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन कासिम पूर और सेमनान की जुमआ नमाज आयोजन समिति के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन पहलवानी फर ने संबोधित किया। 

सेमनान के इमाम ए जुमआ हुज्जतुल इस्लाम वाल मुस्लिमीन मतीई ने समाज के सांस्कृतिक उत्थान में जुमआ की नमाज की भूमिका पर जोर देते हुए कहा, जुमआ की नमाज के केंद्रीय और सहायक कार्यक्रम जैसे "महद ए आदीना अनुशासन, सुरक्षा और शांति,मौसम के अनुकूल प्रबंधन और नमाजियों की मेहमाननवाजी आदि विभिन्न वर्गों के लोगों की अधिक से अधिक भागीदारी का कारण बन सकते हैं। 

उन्होंने कहा, इस्लामी क्रांति के दौरान विशेष रूप से आठ साल के पवित्र रक्षा युद्ध ईरान इराक युद्ध में जुमआ की नमाज की भूमिका अविस्मरणीय है। 

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मतीई ने कहा, जुमआ की नमाज ने ईरान-ए-हमदिल जैसे विभिन्न अभियानों में सक्रिय भूमिका निभाई है और इस्लामी गणतांत्रिक व्यवस्था तथा इमाम-ए-मुस्लिमीन के दृष्टिकोण को स्पष्ट करने में प्रभावी भूमिका निभाती है। 

उन्होंने छात्रों की जुमआ की नमाज में भागीदारी को महत्वपूर्ण बताते हुए जोर दिया कि उन्हें जुमा की नमाज में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना जिम्मेदार लोगों की प्राथमिकता होनी चाहिए।

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