हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने फरमाया,इस्लाम में इन्फ़ाक़ यानी अल्लाह की राह में ख़र्च करना एक उसूली बात है अल्लाह की राह में ख़र्च करना चाहिए, अल्लाह की राह में पैसा या संसाधन खर्च करना। यह एक बहुत महत्वपूर्ण धार्मिक और सामाजिक अवधारणा है जो मुसलमानों को अपने धन, समय और संसाधनों को नेक कामों और ज़रूरतमंदों की मदद में खर्च करने की प्रेरणा देती है।
इस्लाम में इन्फ़ाक़ एक उसूली बात है, अल्लाह की राह में ख़र्च करना चाहिए, (हम) यह नहीं कहते कि (दूसरों से) मामले (या लेन-देन) न कीजिए, माल व दौलत हासिल न कीजिए, कीजिए लेकिन ख़र्च कीजिए।
इस्लाम लोगों को आदी बनाना चाहता है कि उन्होंने जो कुछ कमाया है, ज़िन्दगी की ज़रूरी चीज़ों के बराबर, एक अवसत ज़िन्दगी के लिए जो ज़रूरी है, मुराद तंगी व सख़ती के साथ गुज़र बसर करना नहीं है।
बल्कि आम लोगों की अवसत ज़िन्दगी जितना, वह चाहे आराम व सुकून की ज़िन्दगी ही क्यों न हो, अपने लिए ख़र्च करे, उसके बाद जो बचे और ख़र्च से ज़्यादा हो वह समाज में आम लोगों की भलाई और हित में ख़र्च करना चाहिए।
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