۲۸ شهریور ۱۴۰۳ |۱۴ ربیع‌الاول ۱۴۴۶ | Sep 18, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा / यह आयत हमें सिखाती है कि अल्लाह द्वारा दी गई कृपाओं और नेमतों में कंजूसी न करें, बल्कि उन्हें अल्लाह की राह में खर्च करें। कंजूस को इसके बाद गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। दौलत अल्लाह की अमानत है और इसका सही इस्तेमाल अल्लाह की रज़ा हासिल करने के लिए करना चाहिए।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم   बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम

لَا یَحْسَبَنَّ الَّذِیْنَ یَبْخَلُوْنَ بِمَاۤ اٰتٰىهُمُ اللّٰهُ مِنْ فَضْلِهٖ هُوَ خَیْرًا لَّهُمْؕ-بَلْ هُوَ شَرٌّ لَّهُمْؕ-سَیُطَوَّقُوْنَ مَا بَخِلُوْا بِهٖ یَوْمَ الْقِیٰمَةِؕ-وَ لِلّٰهِ مِیْرَاثُ السَّمٰوٰتِ وَ الْاَرْضِؕ-وَ اللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ خَبِیْرٌ  ला यहसबन्नल लज़ीना यबखलूना बेमा आताहोमुल्लाहो मिन फ़ज़्लेहि होवा खैरल लहुम बल होवा शर्रुल लहुम सयोतव्वक़ूना मा बख़ेलू बेहि यौमल क़ियामते व लिल्लाहे मीरासुस समावाते वल अर्ज़े वल्लाहो बेमा तअमलूना खबीर (आले-इमरान 180)

अनुवाद:

और जो लोग अल्लाह की कृपा से कंजूसी करते हैं, वे यह न समझें कि यह उनके लिए बेहतर है, बल्कि यह उनके लिए बहुत बुरा है, और आकाशों और धरती की विरासत अल्लाह के लिए है, और अल्लाह ही है आपके कर्मों से भली भाँति परिचित हूँ।

विषय:

यह आयत उन लोगों के बारे में है जो अल्लाह की दी हुई कृपा और नेमतों में कंजूसी करते हैं और दूसरों की मदद करने से बचते हैं।

पृष्ठभूमि:

यह आयत उन मुसलमानों के लिए नाज़िल हुई जो अल्लाह के दिए हुए माल और दौलत से कंजूस थे और दान देने से कतराते थे। कुछ लोगों ने सोचा कि धन संचय करने से उन्हें लाभ होगा, जबकि यह आयत इस सोच की निंदा करता है।

तफसीरः

  1. तौक़ का मतलब: क़यामत के दिन जो माल उन्होंने ख़र्च नहीं किया वह उनके गले में डाल दिया जाएगा।
  2. अल्लाह का होना: अल्लाह ही संपूर्ण ब्रह्मांड का असली मालिक और हर चीज़ का उत्तराधिकारी है। इंसान की दौलत का असली मालिक अल्लाह है।

परिणाम:

यह आयत हमें सिखाती है कि अल्लाह की दी हुई कृपा और नेमतों में कंजूसी न करें बल्कि उन्हें अल्लाह की राह में खर्च करें। कंजूस को इसके बाद गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। दौलत अल्लाह की अमानत है और इसका इस्तेमाल अल्लाह की रज़ा हासिल करने के लिए सही तरीके से किया जाना चाहिए।

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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए आले-इमरान

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