शनिवार 11 अक्तूबर 2025 - 10:14
बच्चों की तालीम और तरबियत के लिए योग्य और शिष्ट शिक्षकों का चयन आवश्यक है

हौज़ा / हरम ए हज़रत मासूमा (स.ल.) के खतीब ने नई पीढ़ी के तालीम और तरबियत के महत्व की ओर इशारा करते हुए कहा, शिक्षकों को मज़हबी और फिक्री और आर्थिक सुकून के साथ नई पीढ़ी की तरबियत करनी चाहिए।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन नासिर रफ़ीई ने हज़रत मासूमा (स) की पवित्र दरगाह पर आयोजित एक मजलिस में सूरह आले इमरान की तफ्सीर करते हुए हज़रत मरयम (स.ल.) से संबंधित आयतों की व्याख्या मे यह बात कही की।

उन्होंने हज़रत मरयम (स) के जीवन की घटना की ओर इशारा करते हुए कहा, हज़रत मरयम (स) के पिता हज़रत इमरान और माता हज़रत हन्ना ने मन्नत मांगी थी कि वे अपने बच्चे को इबादतगाह और खुदा के कामों की सेवा के लिए वक़्फ करेंगे। यह घटना मुस्लिम परिवारों के लिए एक बड़ा सबक है कि उन्हें शुरू से ही अपने बच्चों की आध्यात्मिक प्रगति की चिंता होनी चाहिए।

हौज़ा इल्मिया क़ुम के इस शिक्षक ने इन आयतों से कुछ शैक्षिक बिंदुओं को व्यक्त करते हुए कहा, पहला सबक यह है कि माताओं का गर्भावस्था के दौरान बच्चों की आध्यात्मिक शिक्षा पर ध्यान देना आवश्यक है जैसा कि हज़रत हन्ना ने जन्म से पहले ही अपने बच्चे को खुदा की सेवा के लिए वक़्फ कर दिया था। दूसरा बिंदु कर्म की स्वीकृति का महत्व है अगर अच्छा कर्म इखलास और हलाल रोज़ी के साथ न हो तो खुदा की ओर से स्वीकार नहीं होता।

उन्होंने कहा,तीसरा बिंदु बच्चे की परवरिश में माता की अद्वितीय भूमिका है और चौथा, बच्चों के लिए अच्छे नाम का चयन करना। हज़रत मरयम (स) की माता ने ऐसा नाम चुना जिसका अर्थ और पहचान इबादती थी। पांचवां बिंदु, बच्चों की शिक्षा और परवरिश के लिए योग्य और शिष्ट शिक्षकों का चयन आवश्यक है जैसा कि हज़रत मरयम (स) की कफालत हज़रत जकरिया (अ) के सुपुर्द थी।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन रफीकी ने नई पीढ़ी की तालीम और तरबियत के महत्व पर जोर देते हुए कहा,शिक्षकों को धार्मिक सोच और दीनी एहसास के साथ नई पीढ़ी की तरबियत करनी चाहिए और समाज को भी उनके मकाम की हिफाजत करनी चाहिए।

हरम-ए करीमा अहले बैत (स.ल.) के खतीब ने कहा, हलाल रोज़ी और कुरआनी परवरिश नेक और सालिह पीढ़ी के विकास की बुनियाद है। हर नाहक़ और बे-खुम्स का लुक़मा आने वाली पीढ़ी पर असर डालता है। माता-पिता को चाहिए कि ख्याल रखें कि गलत माल घर में दाखिल न हो क्योंकि इन लुक़मों का बच्चों की रूह और अखलाक पर सीधा असर पड़ता है।

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