रविवार 12 अक्तूबर 2025 - 13:36
ज्ञान और अनुसंधान पर आधारित जीवन ही सफलता की गारंटी है, ईमान और नेक कामों के बिना जीवन घाटे में है: मौलाना शमा मुहम्मद रिज़वी

हौज़ा। फ़ाज़िलपुर में आयोजित एक ज्ञानपूर्ण और शोध आधारित बैठक में मौलाना सैयद शमा मुहम्मद रिज़वी ने कहा कि वास्तविक सफलता केवल ईमान, नेक काम, धैर्य और सच्चाई के रास्ते पर दृढ़ता से खड़े रहने से मिलती है। उन्होंने हज़रत मासूमा क़ुम (अ) को पवित्रता और न्याय का प्रतीक बताते हुए समाज से अन्याय और स्वार्थपरता को खत्म करने पर जोर दिया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, फ़ाज़िलपुर में कल दो कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें ज्ञानपूर्ण और विचारात्मक चर्चाओं के साथ-साथ ईसाल-ए-सवाब के लिए एक मजलिस भी शामिल थी। पहला कार्यक्रम हज़रत मासूमा क़ुम (स) के पवित्र जीवन पर आधारित एक ज्ञानपूर्ण बैठक थी, जबकि दूसरा कार्यक्रम आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली सिस्तानी (मद्द ज़िल्लुहुल आली) की पत्नी के इंतक़ाल पर ईसाल-ए-सवाब के लिए आयोजित किया गया था।

इस कार्यक्रम में कई विद्वानों और कवियों ने भाग लिया और विभिन्न ज्ञानपूर्ण विषयों पर अपने विचार रखे। समापन पर मौलाना सय्यद शमा मुहम्मद रिज़वी ने संबोधित किया।

उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत में अकेले में पाप से बचने के विषय पर कुछ हदीसें बयान करते हुए कहा कि मीज़ान-ए-हिक्मा में हज़रत मुहम्मद (स) से वर्णित है: "अकेले में भी अल्लाह की नाफरमानी से बचो, क्योंकि वही गवाह भी है और फैसला करने वाला भी।"

उन्होंने कहा कि जो लोग जुल्म, अन्याय और क्रूरता में लिप्त रहते हैं, वे जीवन के वास्तविक उद्देश्य से भटक जाते हैं। उनका जीवन इच्छाओं में बीतता है और वे वास्तविक न्याय और इंसाफ से वंचित रहते हैं। न्याय और इंसाफ की वास्तविक व्यवस्था केवल उसी जगह कायम होती है जहां अल्लाह के करीबी हासिल की जाती है।

मौलाना सय्यद शमा मुहम्मद रिज़वी ने कहा कि हज़रत मासूमा क़ुम (स) पवित्रता और न्याय का नाम हैं। समाज में अन्याय फैलाने वाले और स्वार्थी तत्वों को पहचानना जरूरी है, क्योंकि ऐसे लोग अपने निजी फायदे के लिए बिना कारण दूसरों को तरजीह देते हैं और अल्लाह की व्यवस्था से दूर हो जाते हैं।

उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति अपने दिल में पापियों की मोहब्बत रखता है, वह अइम्मा-ए-मासूमीन (अ) और हज़रत मासूमा क़ुम (स) से दूर हो जाता है, क्योंकि जहां सच्चाई है, वहां झूठ नहीं हो सकता, और जहां झूठ है, वहां सच्चाई नहीं हो सकती।

मौलाना ने कुरआन पाक की सूरह अल-अस्र की आयत "वलअस्र, इन्नल इंसान लफ़ी खुस्र, इल्लल्लज़ीना आमनू व अमेलूस्सालिहात व तावासो बिल हक्क व तावासो बिस्ब्र" का हवाला देते हुए कहा कि ईमान और नेक कामों के बिना मानव जीवन घाटे के सिवा कुछ नहीं है। सफल वही हैं जो ईमान रखते हैं, नेक काम करते हैं और एक-दूसरे को सच्चाई और धैर्य की ताक़ीद करते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि मोमिन का काम हमेशा तक़वा (धार्मिक डर और संयम) के आधार पर होता है। इस अवसर पर उन्होंने अल्लाह की माख़लूक़ (सृष्टि) के तीन समूहों का ज़िक्र किया:

  • जानवरों का समूह – जिनकी सारी कोशिश केवल पेट भरने के लिए होती है।

  • दुनियादार महिलाओं का समूह – जो केवल दुनियावी सजावट और दिखावे में लगी रहती हैं।

  • ईमान वालों का समूह – जो अपने घर, परिवार, क़ौम और समाज को धार्मिक बनाने के लिए प्रयासरत रहते हैं, कठिनाइयों का सामना करते हैं और ईमानदारी व भलाई उनकी पहचान होती है।

उन्होंने कहा कि यही वे लोग हैं जो दुनिया और आखिरत दोनों में सफल हैं।

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