रविवार 12 अक्तूबर 2025 - 21:08
पिछले 12 दिवसीय युद्द में जनता की ऐतिहासिक भूमिका और दुश्मन की हार

हौज़ा /  ईरान आर्मी के धार्मिक और राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन अली सईदी ने कहा कि 12 दिन के युद्ध में ईरानी जनता की पूर्ण भागीदारी ने दुश्मन की सभी योजनाओं को विफल कर दिया और एकता, दृढ़ता और वफादारी की महान उदाहरण स्थापित की।

हौज़ा न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान आर्मी के धार्मिक और राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन अली सईदी ने कहा कि 12 दिन के युद्ध में ईरानी जनता की पूर्ण भागीदारी ने दुश्मन की सभी योजनाओं को विफल कर दिया और एकता, दृढ़ता और वफादारी की महान उदाहरण स्थापित की।

ईरान और इजरायल के बीच हुए 12 दिन के युद्ध की शुरुआत 13 जून 2025 को हुई, जब इजरायली सरकार ने ईरान के परमाणु केंद्रों, सैन्य अड्डों और आवासीय क्षेत्रों पर हवाई हमले किए। दुश्मन का उद्देश्य ईरान के परमाणु और रक्षा कार्यक्रम को नष्ट करना और इस्लामी व्यवस्था को कमजोर करना था, लेकिन ईरानी जनता, सेना और नेतृत्व की दृढ़ता ने उसे मजबूत जवाब दिया।

हुज्जतुल इस्लाम अली सईदी के अनुसार, इस युद्ध में जनता की भूमिका असामान्य रही। जनता ने अपनी जान, संपत्ति और ईमान के साथ दुश्मन की साजिशों को नाकाम कर दिया और वफादारी, एकता और दूरदृष्टि का अद्वितीय प्रदर्शन किया। जनता के समर्थन ने सशस्त्र सेना को ताकत दी, रक्षा मोर्चे को मजबूत किया, और दुश्मन के विश्लेषकों के सभी अनुमानों को गलत साबित कर दिया।

उन्होंने कहा कि जनता की एकता ने न केवल ईरान की रक्षा और राजनीतिक ताकत को वैश्विक स्तर पर मजबूत किया, बल्कि दुश्मन के प्रचार और मनोवैज्ञानिक युद्ध को भी विफल कर दिया। लोगों की मौजूदगी ने आजादी, स्वतंत्रता और भूमि की अखंडता की रक्षा की।

हुज्जतुल इस्लाम अली सईदी के अनुसार, 12 दिन के युद्ध के बाद कई महत्वपूर्ण परिणाम सामने आए:

  • पहला: अमेरिका और इजरायल की सबसे बड़ी योजना, यानी ईरान की व्यवस्था को गिराने की साजिश, पूरी तरह विफल हो गई।

  • दूसरा: ईरान ने अपनी रक्षा शक्ति और तकनीक के जरिए दुनिया को हैरान कर दिया और दुश्मन के "अजेय" होने के मिथक को तोड़ दिया।

  • तीसरा: वली-ए-फ़क़ीह का नेतृत्व एक स्पष्ट वास्तविकता बनकर वैश्विक स्तर पर उभरा।

  • चौथा: प्रतिरोध मोर्चे, खासकर हिज़बुल्लाह, में आत्मविश्वास में वृद्धि हुई और क्षेत्र में ताकत का संतुलन ईरान के पक्ष में बदल गया।

उन्होंने कहा कि युद्ध के दौरान सुरक्षा बलों ने दुश्मन के आंतरिक एजेंटों और जासूसी नेटवर्क को भी बेनकाब करके उनकी योजनाओं को विफल कर दिया।

अंत में उन्होंने जोर देकर कहा कि ईरान की सफलता केवल एक सैन्य जीत नहीं, बल्कि एक विचारधारात्मक और आध्यात्मिक विजय है, जिसने साबित कर दिया कि जब नेतृत्व, जनता और सेना एकजुट होते हैं, तो कोई भी ताकत इस्लामी ईरान के सामने टिक नहीं सकती।

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