शुक्रवार 17 अक्तूबर 2025 - 15:36
पश्चिम; सांस्कृतिक और मीडिया साधनों के सहारे राष्ट्रों की पहचान मिटाने पर तुला हुआ है

हौज़ा / हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अब्बासी ने इस्लामी मानविकी विज्ञानों को सभ्यता-निर्माता बताते हुए चेतावनी दी कि पश्चिम की भौतिक सभ्यता, जो अब तक 130 से अधिक देशों पर उपनिवेशवाद का साधन रही है आज सांस्कृतिक और मीडिया जैसे हथियारों के माध्यम से राष्ट्रों की रूहानी व मानवी बुनियादों को निगल रही हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , जामिया अलमुस्तफा अलआलमिया के संरक्षक हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन डॉक्टर अब्बासी ने "मदरसा मआरफ़ी दराया" के शैक्षणिक वर्ष के आरंभ के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए इस्लामी मानविकी विज्ञानों के महत्व पर जोर दिया और कहा,मानविकी विज्ञान सभ्यता का निर्माण करते हैं।

उन्होंने आगे कहा,पश्चिमी भौतिक सभ्यता जो पिछली कई शताब्दियों से दुनिया पर थोपी गई है, इन्हीं विज्ञानों के आधार पर खड़ी हुई है, लेकिन अपने भौतिकवादी आधारों के कारण उसने मानवता के लिए असंख्य विनाश पैदा किए हैं।

जामिया अलमुस्तफा अलआलमिया के संरक्षक ने पश्चिमी भौतिक सभ्यता के नकारात्मक प्रभावों की ओर इशारा करते हुए कहा,आज दुनिया के दो सौ से अधिक देशों में से लगभग 130 देशों ने पश्चिमी उपनिवेशवाद का स्वाद चखा है, जो दुनिया की आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं।केवल ब्रिटिश सरकार ने ही प्राचीन भारत लंबे समय तक अपने धोखेबाज़ प्रभुत्व में रखा।

उन्होंने अफ्रीका महाद्वीप को उपनिवेशवाद का सबसे बड़ा शिकार बताते हुए कहा: लगभग सभी अफ्रीकी देश किसी न किसी रूप में और किसी न किसी अवधि तक पश्चिमी उपनिवेशवाद का निशाना बने। प्राकृतिक संसाधनों से सबसे अधिक संपन्न दुनिया का यह क्षेत्र वर्षों तक यूरोपीय शक्तियों के प्रभुत्व में रहा।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अब्बासी ने आगे कहा,हालांकि हमारा देश सीधे तौर पर औपनिवेशिक प्रभुत्व का शिकार नहीं हुआ लेकिन पश्चिमी सरकारें हमेशा इस कोशिश में रहीं कि अपने अधीन शासकों को यहां थोपें। आज भी कुछ क्षेत्रों में यही स्थिति जारी है। हालांकि पश्चिमी सभ्यता का सबसे खतरनाक पहलू उसका सांस्कृतिक प्रभाव है जिसने दुनिया को बौद्धिक और आध्यात्मिक रूप से अपनी चपेट में ले रखा है।

उन्होंने हौज़ा ए इल्मिया क़ुम को एक महान दैवीय और सांस्कृतिक मिशन का धनी बताते हुए कहा, हमारे सभी बौद्धिक और शैक्षणिक केंद्रों को इसी उच्च लक्ष्य की राह में एकजुट होकर आगे बढ़ना चाहिए।

इंशाअल्लाह, अल्लाह की सहायता और कृपा हमारे साथ होगी। जब हम यह विश्वास कर लें कि ईश्वर हमारे साथ है, तो फिर बातिल की खोखली धमकियों से भयभीत नहीं होना चाहिए, क्योंकि हम सत्य के साथ हैं और बातिल नष्ट होने वाला है, उसके अस्थाई प्रभुत्व से परेशान नहीं होना चाहिए।

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