गुरुवार 1 मई 2025 - 18:11
पश्चिमी संस्कृति ने महिला और आज़ादी' के नाम पर महिलाओं पर सबसे अधिक अत्याचार किए हैं

हौज़ा / हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अली अब्बासी ने कहामहिला मुद्दे को आज की भौतिक सभ्यता का सबसे संवेदनशील विषय बताया ऐसी स्थिति में जब स्त्री और स्वतंत्रता के नाम पर महिलाओं के साथ सबसे ज़्यादा अन्याय हो रहा है, जामेअतुल-मुस्तफ़ा की महिला छात्रों की जिम्मेदारी है कि वे पूरी दुनिया में इस्लामी क्रांति के गहराईभरे, न्यायपूर्ण और आध्यात्मिक संदेश को पहुंचाएं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, जामेअतुल मुस्तफ़ा अलआलमिया के अध्यक्ष हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अली अब्बासी ने कहा,आज के भौतिकवादी युग में जहाँ पश्चिमी संस्कृति 'महिला' और 'आज़ादी' के नाम पर महिलाओं और परिवारों पर सबसे ज़्यादा अत्याचार कर रही है ऐसे में जामेअतुल मुस्तफ़ा की महिला विद्यार्थियों पर यह ज़िम्मेदारी है कि वे इस्लामी क्रांति के आध्यात्मिक, न्याय-आधारित और अर्थपूर्ण संदेश को पूरी दुनिया में पहुँचाएं।

उन्होंने यह बातें बिंतुल-हुदा उच्च शिक्षण केंद्र की महिला छात्रों के एक कार्यक्रम में कहीं। इस अवसर पर उन्होंने दह-ए-करामत, हज़रत फ़ातिमा मासूमा (स.ल.) और हज़रत अली बिन मूसा रज़ा (अ.) की विलादत की बधाई भी दी।बंदरगाह की दुर्घटना का ज़िक्र करते हुए उन्होंने दुःख जताया और शहीदों के लिए उच्च दर्जा तथा घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की दुआ की।

इसके बाद उन्होंने इमाम बाकिर (अ.स.) की एक हदीस का हवाला देते हुए कहा,क़ुरआन कहता है कि क़यामत के दिन हर नेमत के बारे में पूछा जाएगा, और यह नेमत सिर्फ खाना-पीना नहीं है, बल्कि सबसे अहम नेमत विलायत और अहलेबैत (अ.) पर ईमान है। यह नेमत कृतज्ञता और आचरण दोनों से शुक्रगुज़ारी की हकदार है।

उन्होंने ज़ोर देकर कहा,जो हज़रत फ़ातिमा मासूमा (स.ल.) की ‘मअरिफ़त’ के साथ ज़ियारत करता है उसके लिए जन्नत और अल्लाह के वलीयों की संगति का वादा है। हज़रत इमाम रज़ा (अ.स.) की ज़ियारत कुछ रिवायतों में हज़ार हज के बराबर बताई गई है। जब तक हम इन पवित्र हस्तियों की छाया में हैं हम मुश्किलों में अकेले नहीं होंगे।

आख़िर में उन्होंने महिला मुद्दे को आज की भौतिक सभ्यता का सबसे संवेदनशील विषय बताया और कहा,ऐसी स्थिति में जब स्त्री और स्वतंत्रता के नाम पर महिलाओं के साथ सबसे ज़्यादा अन्याय हो रहा है, जामेअतुल-मुस्तफ़ा की महिला छात्रों की जिम्मेदारी है कि वे पूरी दुनिया में इस्लामी क्रांति के गहराईभरे, न्यायपूर्ण और आध्यात्मिक संदेश को पहुंचाएं।

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