हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , शहीद सैय्यद हसन नसरुल्लाह और शहीद यह्हया संवर की पुण्यतिथि के अवसर पर "बशारत-ए-नस्र" के शीर्षक से एक दिवसीय सम्मेलन छात्रों और विश्वविद्यालय के छात्रों की भागीदारी से जामिया क़ुम के हॉल शेख मुफीद (रह) में आयोजित किया गया।
इस अवसर पर हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अब्दुल्लाह हाजी सादिकी, वली-ए-फकीह के प्रतिनिधि सिपाह-ए-पासदारान के लिए संबोधित करते हुए कहा,शहीद सैय्यद हसन नसरुल्लाह ने अपना पूरा अस्तित्व धर्म के लिए समर्पित कर दिया था और वह विलायत के मामले में केवल अनुयायी ही नहीं बल्कि पूरी तरह से आज्ञाकारी थे।
उन्होंने आगे कहा,शहीद नसरुल्लाह कहा करते थे कि हिज़्बुल्लाह की सभी सफलताएं विलायत के सामने आज्ञाकारिता का परिणाम हैं और जब महान नेता रहबर-ए-मोअज़्ज़म कुछ कहते हैं, तो मुझे उसके सही होने में कोई संदेह नहीं होता ऐसा नहीं है कि मैं सिर्फ इसलिए पालन करता हूं क्योंकि महान नेता ने कहा बल्कि मैं उसके सही और सत्य होने पर पूर्ण विश्वास रखता हूं।
वली-ए-फकीह के प्रतिनिधि सिपाह-ए-पासदारान के लिए ने कहा,मुक़ावमत का अर्थ है दृढ़ता, स्थिरता और किसी भी कीमत पर पीछे न हटना। कुरान हमें बताता है कि सभी ईश्वरीय पैगंबरों के भेजे जाने का उद्देश्य दो मूलभूत बातों पर आधारित था एक यह कि पृथ्वी पर अल्लाह की संप्रभुता और उपासना को स्थापित करें और दूसरा यह कि हर प्रकार की गैर-ईश्वरीय उपासना को मिटा दें।
उन्होंने कहा,स्तेकबार अहंकार/साम्राज्यवाद और पैगंबरों के बीच सभी संघर्षों का केंद्र संप्रभुता का मुद्दा रहा है और आज अमेरिका का हमारे साथ सारा विवाद भी इसी संप्रभुता पर है। अमेरिका चाहता है कि ईरान उसका आज्ञाकारी बन जाए जबकि परमाणु ऊर्जा और मानवाधिकार जैसे मुद्दे महज बहाने हैं।
हुज्जतुल इस्लाम सादिकी ने कहा,दुश्मन पर विजय पाने का रहस्य मजबूत इरादे और दृढ़ ईमान में छिपा है। दुश्मन तब हावी होता है जब वह युवाओं के दिमाग और दिल पर कब्जा कर लेता है।
वह युवा जो युद्ध के मैदान में शहीद होता है, दुश्मन पर विजयी रहता है, लेकिन जब दुश्मन किसी युवा के दिमाग को बौद्धिक रूप से अधीन करके उसे अपना सैनिक बना लेता है, तो वास्तव में वहीं दुश्मन की असली जीत होती है और उसका निशाना सीधे दिल पर लगता है।
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