हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,आयतुल्लाह मुसवी इस्फहानी ने कहा कि जो छात्र ज्ञान और खुद की तरबीयत के रास्ते पर हैं, उन्हें समझना चाहिए कि अख्लाक केवल हौज़ा की नींव नहीं है बल्कि इंसान की व्यक्तिगत सामाजिक और आख़िरी जीवन की भी गारंटी है।
अगर अख्लाक न हो तो आपकी जवानी बर्बाद हो जाएगी, जीवन ठहर जाएगा और आपकी आख़िरी जिंदगी खतरे में पड़ जाएगी।
उन्होंने इमाम खोमैनी (रह) और दूसरे शिक्षकों के बारे में बताया कि उन्होंने नैतिक शिक्षा प्राप्त की और उसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाया।उन्होंने कहा कि हौज़ात सदियों से धर्म और नैतिकता का रक्षक रहा हैं। गैर मौजूदगी के दौर में भी परहेज़गार उलेमा ने लोगों के धर्म की रक्षा की।
उन्होंने आयतुल्लाह आखुंद हमदानी का एक वाकया सुनाते हुए कहा,एक छात्र ने बहुत मेहनत करके खुम्स की एक छोटी सी राशि लाकर दी। आयतुल्लाह आखुंद यह देख कर रो पड़े और कहा,मैं इस पैसे को कैसे खर्च करूं कि यह जहन्नुम का कारण न बने?यह बात दर्शाती है कि धार्मिक विद्वानों में कितना गहरा व्यवहारिक परहेज़गारी (तक़वा) होता है।
हौज़ा ए इल्मिया हमदान के निदेशक ने छात्रों की ज़िम्मेदारी बताते हुए कहा,आपकी सबसे पहली ज़िम्मेदारी है अपने नफ़्स की निगरानी करना।प्रचार, पढ़ाई, रोज़ी कमाना और समाज की सेवा ये सब बाद की चीज़ें हैं।अगर आप खुदा का रास्ता अपनाते हैं, तो चाहे पूरी दुनिया आपके खिलाफ हो जाए, आपको इसका सवाब ज़रूर मिलेगा।
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