बुधवार 23 अप्रैल 2025 - 22:26
दीन की तब्लीग़ करना छात्रों की प्राथमिक जिम्मेदारी है: आयतुल्लाह मुर्तज़वी

हौज़ा /आयतुल्लाह सैय्यद हसन मुर्तज़वी ने छात्रों की धार्मिक जिम्मेदारियों पर जोर देते हुए कहा है कि शिक्षा और आत्म-विकास के साथ-साथ दीन की तब्लीग़ करना छात्रों के कर्तव्यों का एक बुनियादी हिस्सा है और उन्हें बिना किसी कमी के इल्मे इलाही को जनता तक पहुंचाना चाहिए।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, आयतुल्लाह सैय्यद हसन मुर्तज़वी ने छात्रों की धार्मिक जिम्मेदारियों पर जोर देते हुए कहा है कि शिक्षा और आत्म-विकास के साथ-साथ दीन की तब्लीग़ करना छात्रों के कर्तव्यों का एक बुनियादी हिस्सा है और उन्हें बिना किसी कमी के इल्मे इलाही को जनता तक पहुंचाना चाहिए।।

उन्होंने यह बात हौज़ा के छात्र एवं विद्वानों के प्रतिनिधि सभा के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम सय्यद जलाल रजवी मेहर के साथ उनके आवास पर बैठक के दौरान कही। बैठक की शुरुआत में  आयतुल्लाह मुर्तज़वी ने इमाम सादिक (अ) की एक हदीस का हवाला देते हुए उपदेश के महत्व को समझाया और कहा कि छात्रों को शिक्षा और सभ्यता के साथ-साथ धर्म का उपदेश भी देना चाहिए।

उन्होंने दीने इलाही की रक्षा को धार्मिक विद्वानों की जिम्मेदारी बताते हुए कहा कि लोगों के हृदय हुक्मे इलाही सुनने के लिए उत्सुक हैं, इसलिए इल्मे दीन को पूर्ण और सही तरीके से समझाया जाना चाहिए। आयतुल्लाह मुर्तज़वी ने कहा कि समाज के मार्गदर्शन के लिए कुरान, रिवायतो और नहजुल बलाग़ा का उपयोग आवश्यक है।

उन्होंने छात्र सेवा को एक बड़ी उपलब्धि मानते हुए छात्र प्रतिनिधियों की जिम्मेदारी बताई तथा अधिकारियों को छात्र मामलों में सावधान और संवेदनशील रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को अपने बच्चे की तरह माना जाना चाहिए तथा उनकी सेवा के किसी भी पहलू की उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए। इस मार्ग में ईश्वर पर भरोसा रखना और अहले-बैत (अ) से मदद मांगना महत्वपूर्ण है।

अंत में उन्होंने इस्लामी विद्वानों को धर्म का संरक्षक और वैज्ञानिक आशीर्वाद का स्रोत बताया और कहा कि सैय्यद बिन ताओस से लेकर आज तक शिया विद्वानों ने धर्म की रक्षा के लिए बड़ी कुर्बानियां दी हैं और आज की पीढ़ी का यह कर्तव्य है कि वह इस ईश्वरीय अमानत की रक्षा के लिए प्रयास करें।

इस अवसर पर हुज्जतुल इस्लाम रजवी मेहर ने छात्रों और विद्वानों के बीच संबंधों को मदरसा की बौद्धिक और आध्यात्मिक संपदा बताते हुए इसे छात्रों के लिए एक व्यावहारिक सबक बताया। उन्होंने आयतुल्लाह मुर्तजावी को छात्रों के लिए एक आशीर्वाद बताया और आर्थिक गतिविधियों पर भी प्रकाश डाला।

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