हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,लखनऊ,राजा सलीमपुर मरहूम सैयद मोहम्मद सज्जाद ज़ैदी के चालीसवें की मजलिस सलीमपुर हाउस, कैसरबाग़ में मुनअक़िद हुई जिसको मौलाना सैयद कल्बे जवाद नक़वी ने किताब फरमाया,इस मजलिस का आग़ाज़ तिलावत-ए-क़ुरआन करीम से हुआ, उसके बाद शायरों ने मंज़ूम नज़्राना-ए-अक़ीदत पेश किया।
हुज्जतुल इस्लाम वल-मुस्लिमीन मौलाना सैयद कल्बे जवाद नक़वी, इमाम-ए-जुमा लखनऊ ने क़ुरआन करीम की सूरह रअद की पंद्रहवीं आयत और जो आसमानों और ज़मीनों में हैं वो सब खुशी या नाखुशी से अल्लाह को ही सज्दा कर रहे हैं, और उनके साये भी सुबह व शाम (उसी को सज्दा करते हैं) को सरनामा-ए-कलाम क़रार देते हुए फ़रमाया,हर ज़ी-रूह अल्लाह का सज्दा कर रहा है और काएनात का ज़र्रा-ज़र्रा उसकी तस्बीह कर रहा है।
मौलाना सैयद कल्बे जवाद नक़वी ने वज़ाहत करते हुए कहा, ज़बान-ए-हाल से हर ज़ी-रूह अल्लाह का ही सज्दा कर रहा है।
मौलाना सैयद कल्बे जवाद नक़वी ने राजा सलीमपुर मरहूम सैयद मोहम्मद सज्जाद ज़ैदी का ज़िक्र करते हुए उनके ख़िदमात को सराहा और बयान किया कि मरहूम सैयद मोहम्मद सज्जाद ज़ैदी इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की अज़ादारी बहुत आदाब व एहतिराम से करते थे और ज़रूरतमंदों की इस तरह मदद करते थे कि किसी को ख़बर तक न होती।
मजलिस-ए-चेहलुम में दीनी, मज़हबी, इल्मी, तालीमी, सियासी, समाजी, सकाफ़ती और सहाफ़ती शख्सियात के अलावा बड़ी तादाद में मोमिनीन ने शिरकत की।
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