हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, लखनऊ, भारत,शिया शाही जामा मस्जिद के प्रमुख जनाब सैयद रिज़वान हैदर नक़वी रिटायर्ड डीएसपी के इंतिकाल पर मस्जिद की जानिब से नमाज़े मग़रिबैन के बाद एक ताज़ियती जलसा और मजलिस-ए-अज़ा का आयोजन किया गया, जिसमें उलमा कराम समेत बड़ी तादाद में मोमिनीन ने शिरकत की।
इस ताज़ियती प्रोग्राम की शुरुआत तिलावत-ए-क़ुरआन से हुई। उसके बाद जनाब अब्बास निगार, जनाब वफ़ा अब्बास (चेयरमैन अंबर फाउंडेशन लखनऊ), जनाब रज़ा इमाम, जनाब अली आगा, जनाब अफ़सर जाह, मौलाना वासिक रज़ा नक़वी, मौलाना सैयद मोहम्मद आरिफ़ रिज़वी, मौलाना सैयद हैदर अब्बास रिज़वी, मौलाना सैयद जावेद मुस्तफ़वी, मौलाना अख्तर अब्बास जून, मौलाना सैयद मोहम्मद हुसैन बाक़री, मौलाना सैयद अली हाशिम आबदी, मौलाना सैयद वसी रज़ा आबदी और मौलाना सैयद रज़ा हुसैन ने ख़िताब किया।
मुतकल्लिमीन ने मरहूम जनाब सैयद रिज़वान हैदर नक़वी की शख़्सियत और उनके ख़िदमात के मुख़्तलिफ़ पहलुओं को उजागर किया।आख़िर में हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलाना सैयद सफ़ी हैदर साहब (सेक्रेटरी, तंज़ीमुल मकातिब) ने मजलिस-ए-अज़ा से ख़िताब किया।
मौलाना सफ़ी हैदर ने अपने ख़िताब में कहा कि हर नेक अमल का सिला आख़िरत में जन्नत के रूप में मिलेगा, लेकिन उसका असर दुनिया में भी ज़रूर दिखाई देता है।
उन्होंने कहा कि नेक कामों में हमारा मक़सद सिर्फ़ दुनियावी नतीजा नहीं होना चाहिए, बल्कि अल्लाह की रज़ा (रज़वान-ए-इलाही) होनी चाहिए, क्योंकि जिसे रज़वान-ए-इलाही मिल जाए, उसे जन्नत और दूसरी तमाम नेमतें भी हासिल होंगी।
इस ताज़ियती जलसे की निज़ामत जनाब सैयद शाहकार ज़ैदी ने अंजाम दी।इस मौके पर बड़ी तादाद में उलमा और मोमिनीन मौजूद रहे।
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