मंगलवार 21 अक्तूबर 2025 - 20:49
यमनी कौम अमेरिका और इजरायल के खिलाफ संघर्ष का नेतृत्व कर रहा है

हौज़ा / यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन के प्रमुख सैय्यद अब्दुल मलिक बदरुद्दीन अल-हौसी ने सेना प्रमुख शहीद मेजर जनरल मोहम्मद अब्दुल करीम अल-गमारी की शहादत के अवसर पर कहा कि यमनी लोगों ने अमेरिका और इजरायल के खिलाफ प्रतिरोध का झंडा बुलंद कर रखा है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन के प्रमुख सैय्यद अब्दुल मलिक बदरुद्दीन अल-हौसी ने यमनी सेना के प्रमुख शहीद मेजर जनरल मोहम्मद अब्दुल करीम अल-गमारी की शहादत के अवसर पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि यमन के लोग अमेरिका और इजरायल जैसी ताक़तों के मुकाबले में इस्लामी उम्माह के असली ध्वजवाहक हैं।

उन्होंने कहा कि कल यमनी लोगों ने अपने प्यारे सैन्य प्रमुख, शहीद अल-गमारी, के अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में भाग लिया जो उनके दृढ़ संकल्प और स्थिरता का स्पष्ट प्रमाण है। यमनी राष्ट्र अपनी सशस्त्र सेनाओं को अपनी ताकत का प्रतीक मानता है और उनके साथ गहरा रिश्ता रखता है।

सैय्यद अब्दुल मलिक अल-हौसी ने कहा कि शहीद अल-गमारी और अन्य सभी शहीदों ने  पवित्र जिहाद के मोर्चों पर सच्चाई, विश्वास और बलिदान की मिसाल कायम की। यमन के लोगों ने हमेशा अपनी आज़ादी और इस्लामी उम्माह के पवित्र स्थानों की रक्षा के लिए बलिदान दिए हैं।

उन्होंने आगे कहा कि यमनी लोगों ने अल्लाह की राह में जिहाद का झंडा बुलंद किया है और वे अमेरिका और इजरायल के खिलाफ और फिलिस्तीन के मजलूम लोगों के समर्थन में डटे हुए हैं। पिछले दो सालों में यमन ने इस मोर्चे पर एक कठिन और ऐतिहासिक मुकाबला किया है।

अंसारुल्लाह के प्रमुख ने कहा कि अमेरिका, इजरायल के सभी अपराधों, साजिशों और योजनाओं में शामिल है। यमनी लोगों ने विश्वास और इंसानी गर्व के साथ अल्लाह के बुलावे का जवाब दिया और फिलिस्तीनी मुजाहिदीन की मदद के लिए हर संभव कोशिश की।

उन्होंने कहा कि यमनी राष्ट्र ने इस दौरान अपने सैनिकों और आम नागरिकों में से असंख्य शहीद पेश किए हैं। यह बलिदान उनकी ईमानदारी, विश्वास और टिकाऊ संकल्प का सबूत हैं। उनका रुख सम्मानजनक, बहादुरी भरा और पवित्र जिम्मेदारी पर आधारित है।

सैय्यद अब्दुल मलिक अल-हौसी ने अरब और इस्लामी देशों की सेनाओं की आलोचना करते हुए कहा कि "आज जब इस्लामी उम्माह के लिए यह सबसे कठिन दौर है, 25 मिलियन से अधिक सैनिक रखने वाली अरब और इस्लामी सेनाएं कहां हैं? उनकी कोई आवाज़, कोई रुख और कोई प्रभाव नजर नहीं आता। सिर्फ ईरान और प्रतिरोध अक्ष की सेनाएं ही इस समय मैदान में मौजूद हैं।

उन्होंने शहीद अल-गमारी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि वह विश्वास, ईमानदारी, पर भरोसे की मूर्ति थे। "वे दुश्मन की ताकत से नहीं डरते थे बल्कि अल्लाह पर पूरा भरोसा रखते थे। उनकी आत्मा जिहाद, धैर्य, ईमानदारी और जिम्मेदारी से भरी हुई थी।

अंसारुल्लाह के प्रमुख ने कहा कि शहीद अल-गुमारी का चरित्र यमनी राष्ट्र के लिए एक चमकदार उदाहरण है।उनकी स्थिरता, धैर्य और बलिदान की भावना हमेशा आने वाली पीढ़ियों के लिए विश्वास, दूरदर्शिता और दृढ़ता की सीख रहेगी।

उन्होंने अंत में कहा कि शहीदों का बलिदार इस्लामी उम्माह के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके नक्शेकदम पर चलना सम्मान, गरिमा और गौरव का रास्ता है, जबकि दुश्मन के साथ मिलीभगत करने वालों के लिए शर्मिंदगी और बदनामी के अलावा कुछ नहीं है।

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