बुधवार 29 अक्तूबर 2025 - 11:47
हज़रत इमाम अली अ.स. की निगाह में हलाल रिज़्क की अहमियत

हौज़ा / हलाल रिज़्क की तलाश करना इमाम अली अ.स.के नज़दीक कसबे हलाल बेहतरीन सिफ़त हैं। जिस पर आप खुद भी अमल पैरा थे। आप रोज़ी कमाने को ऐब नहीं समझते थे और मज़दूरी को बहुत ही अच्छी निगाह से देखते थे।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हलाल रिज़्क की तलाश करना इमाम अली अ.स.के नज़दीक कसबे हलाल बेहतरीन सिफ़त हैं। जिस पर आप खुद भी अमल पैरा थे। आप रोज़ी कमाने को ऐब नहीं समझते थे और मज़दूरी को बहुत ही अच्छी निगाह से देखते थे।

मोहद्दिस देहलवी का बयान है कि हज़रत अली (अ.स.) ने एक दफ़ा कुएं से पानी खींचने की मज़दूरी की और उजरत के लिए फ़ी डोल एक ख़ुरमे का फ़ैसला हुआ। आपने 16 डोल पानी के खींचे और उजरत ले कर सरवरे कायनात स. की खिदमत में हाजि़र हुए और दोनों ने मिल कर तनावुल (खाया)किया।

इसी तरह आपने मिट्टी खोदने और बाग़ में पानी देने की भी मज़दूरी की है। अल्लामा मुहिब तबरी का बयान है कि, एक दिन हज़रत अली (अ.स.) ने बाग़ सींचने की मज़दूरी की और रात भर पानी देने के लिये जौ की एक मिक़दार (मात्रा) तय हुई।

आपने फ़ैसले के अनुसार सारी रात पानी दे कर सुबह की और जौ हासिल कर के आप घर तशरीफ़ लाये। जौ फ़ात्मा ज़हरा स. के हवाले किए। उन्होंने उस के तीन हिस्से कर डाले और तीन दिन के लिये अलग अलग रख लिया। इसके बाद एक हिस्से को पीस कर शाम के वक़्त रोटियां पकाईं इतने में एक यतीम आ गया, और उसने मांग लीं।

फिर दूसरे दिन रोटियां तय्यार की गईं, आज मिस्कीन ने सवाल किया, और सब रोटियां दे दी गईं, फिर तीसरे दिन रोटियां तैय्यार हुईं आज फ़कीर ने आवाज़ दी, और सब रोटियां फ़कीर को दे दी गईं। अली (अ.स.) और उनके घर वाले तीनों दिन भूखे ही रहे।

इसके इनाम में ख़ुदा ने सूरा हल अताः नाजि़ल फ़रमाया (रियाज़ुन नज़रा जिल्द 2 पृष्ठ 237) बाज़ रिवायत में है कि सूरा हल अता के बारे में इसके अलावा दूसरे अन्दाज़ का वाके़या मिलता है।

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