हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, जामेअ मुदर्रेसीन हौज़ा ए इल्मिया क़ुम उपाध्यक्ष आयतुल्लाह अब्बास काबी ने हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के दफ़्तर में किताब "फ़िक़्ह-ए-ख़बर" के लोकार्पण में हिस्सा लेते हुए कहा कि "फ़िक़्ह-ए-ख़बर" एक बहुत अहम और रणनीतिक इल्मी मैदान है। यह लोगों की सोच को सही दिशा देने और समाज में जागरूकता व समझ बढ़ाने में बुनियादी भूमिका निभाता है।
उन्होंने कहा कि मीडिया के मोर्चे पर दीन की सेवा करना एक शरई और क़ौमी ज़रूरत है, क्योंकि मीडिया सिर्फ़ खबर देने का ज़रिया नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक, सभ्यतागत और नैतिक हथियार भी है।
आयतुल्लाह काबी ने हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमी़न मोहम्मद महदी मुहक्क़की की मेहनत की तारीफ़ करते हुए कहा कि इस किताब ने दीनी मीडिया के फ़िक़्ही और नैतिक सिद्धांतों की बुनियाद रखी है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि इस्लामी सिस्ट) में मीडिया को फ़िक़्ह, अख़लाक़ और दीन के उसूलों के तहत चलना चाहिए ताकि इंसाफ़, अमानतदारी और सामूहिक भलाई की हिफाज़त हो सके।
उन्होंने साफ़ कहा कि रिपोर्टिंग में सच और भरोसेदारी ज़रूरी है। झूठी, उकसाने वाली या इल्ज़ाम लगाने वाली खबरें शरीअत के हिसाब से हराम हैं। मीडिया का फर्ज़ है कि समाज में भरोसा, पारदर्शिता और एकता को मज़बूत करे।
आयतुल्लाह काबी ने कहा कि "फ़िक़्ह-ए-ख़बर" को हौज़ा इल्मिया में पढ़ाई का हिस्सा बनाया जाना चाहिए ताकि छात्र इस विषय में दीनदार समझ और दृष्टि हासिल करें। उनके मुताबिक़, "ख़बर के दरबान" यानी वे लोग जो खबर की सच्चाई, उसकी चुनौत और प्रकाशन के ज़िम्मेदार होते हैं उन्हें इंसाफ़ और अमानत के साथ काम करना चाहिए और लोगों की इज़्ज़त और निजी हदों का पूरा ध्यान रखना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि आज के ज़माने में, जब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटल मीडिया बहुत तेज़ी से बढ़ रहे हैं, ज़रूरत है कि मीडिया की नीतियों को फिर से फ़िक़्ही उसूलों के आधार पर व्यवस्थित किया जाए। मीडिया को उकसाने वाले, तोड़-मरोड़ कर पेश किए गए या नुकसानदेह कंटेंट से परहेज़ कर, समाज में शिक्षा, जागरूकता और स्थिरता का ज़रिया बनना चाहिए।
आयतुल्लाह काबी ने आख़िर में कहा कि आज दुश्मन झूठे मीडिया के ज़रिए सच्चाइयों को तोड़-मरोड़ रहा है और क़ौमी एकता को निशाना बना रहा है, इसलिए हमें "जिहाद-ए-ख़बर" यानी सच की लड़ाई के ज़रिए इन फ़साद फैलाने वालों का मुकाबला करना होगा।
उन्होंने कहा कि आज की जंग टेक्नोलॉजी पर आधारित है, जिसमें दुश्मन की झूठी बातों के सामने सच्ची कहानी कायम रखना ही असली जिहाद है।
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