मौलाना रजा हैदर जैदी
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अल्लाह को नाराज़ कर दूसरों को ख़ुश न करें: मौलाना सैयद अहमद अली आबिदी
हौज़ा / मुंबई शिया ख्वाजा जामा मस्जिद के इमाम जुमा ने कहा: अल्लाह के रसूल ने हज़रत अली इब्न अबी तालिब को वसीयत की, हे अली! ईमान का तकाज़ा यह है कि आप अल्लाह को नाराज़ करके किसी और को खुश न करें, जो कुछ भी कहें, देखें कि यह अल्लाह को खुश करता है या नहीं, प्राणियों को खुश करने के लिए अल्लाह को नाराज़ न करें और जो कुछ अल्लाह ने तुम्हें दिया है, वही करो दूसरों ने जो दिया है उसके लिए उसकी प्रशंसा न करें।
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शहीदा का खून इस्लामी क्रांति की निरंतरता का गारंटर हैं, मौलाना सैयद रज़ा हैदर ज़ैदी
हौज़ा / शाही आसफ़ी मस्जिद लखनऊ हिंदुस्तान के इमाम जुमा हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना सैयद रज़ा हैदर ज़ैदी प्रिंसिपल हौज़ा उलमिया हज़रत गफ़रनमाब लखनऊ ने शुक्रवार को खुतबा देते हुए कहा कि शहीदों का खून इस्लामी क्रांति की निरंतरता की गारंटी है।
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लखनऊ के हौज़ा इलमिया ग़ुफ़रानमाब मे प्रार्थना सभा का आयोजन
हौज़ा/ शिक्षकों, छात्रों और कार्यकर्ताओं ने इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति हुज्जतुल-इस्लाम वल-मुस्लेमीन सैयद इब्राहीम रईसी और उनके साथियों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और दीर्घायु के लिए प्रार्थना सभा का आयोजन किया।
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आह मुजस्सिमे मोअल्लिमे अखलाक़ मौलाना सैयद अब्दुल्लाह जैदी इस दारेफानी से दारे बक़ा की ओर चले गए
हौज़ा / मौलाना सैयद रज़ी हैदर जैदी इंटरनेशनल नूर माइक्रो फिल्म सेंटर (ईरान कल्चर हाउस) दिल्ली ने एक पत्र में मुजस्सिमे मोअल्लिमे अखलाक़ मदरसा नाज़िमिया के शिक्षक मौलाना सैयद अब्दुल्ला जैदी पर शोक व्यक्त किया है।
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कार्यालय, तदफीन कमेंटी द्वारा जामा मस्जिद में तरवीजे कुरआन कार्यक्रम का आयोजन
हौज़ा/कार्यालय,तदफीन कमेटी द्वारा तहसीनगंज स्थित जामा मस्जिद में तरवीजे कुरआन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों में ज़्यादा से ज़्यादा कुरआन की तिलावत को राएज करना था।
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लखनऊ, महदवी समाज क्लासेज का पुरस्कार वितरण समारोह
हौज़ा / रमजान के पवित्र महीने के दौरान लखनऊ शहर में अलग-अलग जगहों पर महदवी समाज की शीर्षक के तहत धार्मिक कक्षाओं का आयोजन किया गया जिसमें लगभग 1500 छात्रों ने भाग लिया।
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तंज़ीमुल मकातिब में तीन दिवसीय भव्य कुरान और मुहम्मद (स.अ.व.व.) कांफ्रेंस की पहली बैठकआयोजित हुईः
मौलाना सैयद क्लब जवाद नकविक द्वारा कुरान मानवता के लिए जीवन का पूरा कोड है, मौलाना कलबे जवाद नक़वी
हौज़ा / इमाम जुमा लखनऊ मौलाना सैयद कलबे जवाद नकवी ने कहा: कुरान मानवता के लिए जीवन का पूरा कोड है और हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) सभी मानवता के लिए दया और मार्गदर्शक हैं। इसलिए आम आदमी को इन दोनों के बारे में सवालों और शंकाओं से बचाने के लिए यह सम्मेलन सबसे अच्छा समय है।
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रोज़े आशूरा और हिफ़्ज़े इनसानियत, मौलाना रज़ी हैदर फंदेड़वी दिल्ली
हौज़ा / इमाम हुसैन (अ.स.) आज़ादी, सच्चाई, हक, न्याय और मानवता के नेता हैं। तभी तो वाका ए कर्बला के बाद से आज तक हर देश, शहर और हर कौम व क़बीले मे उनका ग़म और ज़िक्र पाया जाता है और कयामत तक पाया जाता रहेगा।
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स्वर्गीय मौलाना ज़ीशान हैदर नक़वी की दीनी ख़िदमात
हौज़ा / स्वर्गीय मौलाना एक बहुत ही नेक, अच्छे स्वभाव वाले, मिलनसार, सफल उपदेशक, एक जिम्मेदार व्यक्ति और एक प्रिय विद्वान थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन धर्म की सेवा में बड़ी ख़ामोशी में बिताया।
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हर युग में धर्म और मानवता की रक्षा के लिए विद्वानों ने निर्देश दिया है, मौलाना सैय्यद रज़ी जैदी
हौज़ा / मदरसा इस्लामी विद्वानों का गढ़ है और राष्ट्र के लिए एक अमूल्य सितारा है। उनका सम्मान हम सभी पर अनिवार्य है। विद्वान एक महान व्यक्तित्व है जो शैतान के शासन की कमर तोड़कर उसके उद्देश्यो को राख कर देता है।
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इमाम रज़ा (अ.स.) की इल्मी और अमली सीरत पर एक नज़र, मैलाना सैयद रज़ी
हौज़ा / इमाम रज़ा लोगो से बहुत ही एंकिसरी के साथ पेश आते थे जबकि आप अपनी उमर के एक हिस्सा मै वाली अहदी के मुकाम पर फायेज थे (अ) इस के बावजूद लोगों के साथ बहुत विनम्रता के साथ व्यवहार करते थे।
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इंसान अल्लाह की अफज़ल तरीन मख्लूक करोना जैसी जानलेवा महामारी में एक दूसरे से बेखबर ।मौलाना सैय्यद रज़ी जै़दी
हौज़ा/इंसान अल्लाह की अफज़ल तरीन मख्लूक करोना जैसी जानलेवा महामारी में एक दूसरे से बेखबर,ये समय अनाथों को पालने और उन्हें अनाथ होने से बचाने का समय आ गया है, कहीं अस्पतालों की तरह ना हो जाए कि यतीम ज़्यादा हो जाए और यतीमखाना कम पड़ जाए, इसी तरह से वह अफराध जो इलाकों और बस्तियों के जि़म्मेदार हैं और उन्हें सोचना चाहिए कि जब लोग ना होंगे तो हुकूमत किस पर करेंगे हर लोगों का वजीफा है कि इन हालात में जिसका जो हो सकता है दूसरे की मदद करें।
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जो भी इंसान है वह अली (अ.स.) से प्यार करता है, मौलाना सैयद रज़ा हैदर जैदी
हौज़ा / ग़ुफ़रानमआब मदरसा के प्रधानाचार्य ने कहा कि पैगंबर की हदीस के प्रकाश में, जो भी साहिबे इमान उसकी पहचान मौला अली (अ.स.) की ज़ात है, इसलिए हम मौला अली (अ.स.) से प्यार करते हैं क्योकि इमान का यही तक़ाज़ा है ।