हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार |
दोस्ती वह महान रिश्ता है जिसे जीवन के बगीचे के फूलों में पेड़ों की शाखाओं से नहीं तोड़ा गया, बल्कि इसे खुद इंसान ने अपने लिए चुना है। अधिकांश रिश्तों के फूल प्रकृति ने परिवारों के पेड़ों की शाखाओं पर लटकाए हैं, जिन्हें खून का रिश्ता कहा जाता है, लेकिन यह सच्चाई और दोस्ती का रिश्ता उस फूल के समान है, जिसे कोई सुंदर सुंदरी अपनी काले लंबे बालों में सजाती है।
यह उसका अपना चुनाव है कि किस फूल को कबूल करने का सम्मान दे। जीवन के बगीचे में हज़ारों बल्कि लाखों की तादाद में फूल बिखरे हुए हैं जो बेशकीमती भी हैं और मूल्यवान भी, लेकिन यहाँ कीमत की बात नहीं, बल्कि इस्तेमाल के लायक होने की है।
बस इसीतरह इंसान अपने जीवन के बालों में कुछ व्यक्तियों का चुनाव करता है जिनसे उसके जीवन की सुंदरता, उसकी खुशबू और उसके मानक में वृद्धि होती है। यह रिश्ता दोतरफा है और हर तरह से फायदेमंद और कारगर है, बस शर्त यह कि इस रिश्ते की मिठास को महसूस किया जा सके और इसे स्वार्थों के कीड़ों से बचाया जाए।
वैसे इसकी एक सुंदर उपमा एक विधवा की माँग के सिंदूर की तरह है जो उसके काले बालों में जीवन की रंगीनियाँ और सांझ की लालिमा का प्रतीक बनकर रिश्ते का सांझा और ऊँचा मानक बता रही है। लेकिन चूंकि हम महान लोगों के बीच रहते हैं, तो यह उपमा विचार के लिहाज से उपयुक्त है।
लेकिन इस स्वार्थी समाज में धर्म की दीवारों में नफरत की दरारें डाल दी गई हैं, इस तरह पड़ोसियों के अधिकारों तक का हनन किया जा रहा है, जबकि इस गंगा-जमुनी संस्कृति की आवश्यकताओं में प्यार और मोहब्बत का पानी बह रहा है और इस संगम पर इकट्ठा होकर रिश्तों की प्यास बुझाने की सख्त जरूरत है।
दोनों उपमाएँ सही समझ तो स्वीकार करती हैं और साहित्य की चाशनी का स्वाद भी बयान करती हैं, लेकिन अफसोस इस दौर के बीमार स्वभाव और जड़ बुद्धि वाले इसे शायद मानें नहीं। बहरहाल इंसानी जिंदगी की उलझी हुई लंबे बालों में दोस्ती की कंघी से बहुत सी समस्याएँ सुलझाई जा सकती हैं, क्योंकि यह सुंदर फूल जीवन में सिर्फ खुशबू ही नहीं बिखेरता बल्कि व्यक्तित्व के चुनाव की खूबसूरती और जीवन के तरीके का पता देता है। हो सकता है कोई यह आपत्ति करे कि बालों का गुच्छा या सुंदर फूल कुछ ही समय बाद मुरझा जाता है।
जी! निस्संदेह ऐसा है लेकिन इस सच्चाई से भी आँखें नहीं मूंदी जा सकती कि वह अपनी पूर्ण यौवनावस्था, पूरी जिंदगी और पूरी खुशबू अपने लंबे बालों में बसाकर चला जाता है और अपनी अवधि और निर्धारित समय को पूरा करता है। दोस्त वही सुंदर फूल है जो जीवन के बालों में खुशबू बसाए, अपनी यौवनावस्था और जिंदगी को दोस्त के लिए लुटाए, और जिस निश्चित और तय समय में आए, पूरा त्याग और कुरबानी देकर एहसास की वादी को आबाद कर जाए और चुनाव की खूबसूरती की लाज रख जाए।
बस इस रिश्ते की पवित्रता में मील का पत्थर निष्ठा को प्राप्त है। शायद यही वजह है कि कूफे की कीचड़ में जो सच्चाई का कमल खिला था, उस सुंदर फूल का चुनाव कर्बला के सुलझे हुए लंबे बालों में सजाने के लिए किया गया और हबीब इब्न-ए-मज़ाहिर ने अपनी जिंदगी के हर रेग-ए-गुल की खुशबू को लुटाकर इस नैनवा के मरुस्थल में अपनी खुशबू को बिखेर दिया।
शहादत का रंग इस कमल के चेहरे पर और गहरा होता गया और खूबसूरती इतनी निखर गई कि सांझ की लाली शरमाने लगी, मिट्टी अकड़ाने लगी और दोस्ती फख्र और डींग का किस्सा सुनाने लगी। उस दौर को मोहब्बत का गीत गुनगुनाने लगी और उस खामोश समाज की दुखती हुई बीमार रगों को मरहम का संदेश सुनाने लगी। जान देकर जान देना सिखाने लगी और बताया कि जो दुआ करके तुम्हारी जान बचाए उसके जीवन के कर्ज को शहादत देकर चुकाओगे तो इमाम की गोद का सम्मान मिलेगा।
और यही वह सम्मान है जो हबीब के सर को मिला और बताया कि मैं उस सुंदर फूल से कहीं बेहतर हूँ जो बालों में सजाया जाए। मैं इमामत की गोद में सजने वाला इज्जत का बगीचा हूँ जो कभी नहीं मुरझाएगा और न कभी अपने निर्धारित समय की सीमाओं में सीमित रहेगा।
मैं शहादत की अनंतता में इस तरह खो जाऊँगा कि मेरी जिंदगी के हर रेग-ए-गुल शहादत के अमृत से जीवन का नाम बन जाएगी। दुनिया जब भी दोस्ती पर इतराएगी, उसके इतराहट उठाने में हबीब की मौजूदगी जरूर होगी।
और सय्यदुश शोहदा ने अपने हबीब को बुलाकर बताया कि खून के रिश्ते साथ चलते हैं लेकिन फकीह और दोस्ती को चुनकर व्यक्तिगत महानता को उजागर किया जाता है, और फिर उनके लहू की लाली को खून के रिश्तों में शामिल करके इज्जत और सम्मान से याद किया जाता है।
यह कोई मामूली बात नहीं है कि अक़ील-ए-बनी हाशिम किसी को सलाम करे, लेकिन शहीद-ए-नैनवा की दोस्ती की ऊँचाई यह है कि उसे ज़ैनत-ए-पेदर सलाम करके और भी इज्जत और सम्मान को बढ़ावा दे, ताकि कुरबानियों की रोशनी को भुलावे के कोनों में न सजाया जा सके।
इसलिए दोस्ती को करबला ने अमर कर दिया है। यह अजीब जमीन है जहाँ व्यक्तित्वों को कुर्बान किया जाता है और रिश्तों को अनंतता की पूंजी मिलती है।
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