हौज़ा / माहे जमादी उस सानी की बीसवीं तारीख थी सुबह की पहली किरण आगोश ए नूर में जलवा अफ़रोज़ थी। शबनम की ख़ुशबू और ओस की चमक से मदीना का मौसम बड़ा सुहाना था लैलतुल-क़द्र का नूर-ए-जली, मतला-ए-फ़ज्र…
हौज़ा / रसूलुल्लाह द्वारा छोड़े गए इस्लाम की क्या स्थिति हो गई थी इसका अंदाजा लगाने के लिए यह घटनाए काफी हैं कि बुधवार को जुमे की नमाज अदा की गई और सुबह की नमाज दो के बजाय चार रकअत पढ़ा दी गई।…