हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हरम ए मुक़द्दस हज़रत मासूमा स.ल. के मुतवल्ली आयतुल्लाह सैयद मुहम्मद सईदी ने मस्जिद-ए-मुक़द्दस जमकारान में आयोजित हरम-ए-मुक़द्दस और ईरान के पवित्र स्थलों की आठवीं बैठक में खिताब करते हुए कहा, इतिहास के विभिन्न कालों में पवित्र स्थानों का रुख समय की परिस्थितियों और इस्लामी दुनिया की घटनाओं के अनुरूप रहा है और जनता की भी हमेशा यही अपेक्षा रही है।
उन्होंने कहा,अहले-बैत स.ल. हर युग में समाज की आवश्यकता के अनुसार अपना विशेष तरीका, रुख और संदेश प्रस्तुत करते थे। आज भी पवित्र स्थानों को चाहिए कि वे तार्किक, स्पष्ट और समय पर रुख अपनाएँ, विशेष रूप से उन घटनाओं के बारे में जो इस्लामी दुनिया में घटित हो रही हों या ऐसे मामलों के बारे में जो जनमत को प्रभावित कर सकते हों।
आयतुल्लाह सईदी ने हज़रत फ़ातिमा मासूमा (स) के ऐतिहासिक भूमिका और क़ुम में उनकी उपस्थिति के प्रभाव के बारे में कहा,विश्वसनीय रिवायतों के अनुसार, वह महान महिला बालिग़ होने से पहले ही फ़िक़ही और आस्था संबंधी प्रश्नों के उत्तर देती थीं, जो इस बात का संकेत है कि उनकी वैज्ञानिक शिक्षा इमामों के सान्निध्य में बहुत ही सूक्ष्म तरीके से हुई।
हरम-ए-मुक़द्दस हज़रत मासूमा (स.ल.) के ट्रस्टी ने अंत में कहा,अहले-बैत के मज़ार लोगों की आध्यात्मिक और मानसिक शांति के स्थान हैं, और यह आवश्यक है कि उनकी सुरक्षा बुद्धिमत्ता, सूक्ष्मता और सम्मान के साथ की जाए।
आपकी टिप्पणी