रविवार 7 दिसंबर 2025 - 11:36
हज़रत ज़हरा (स) की बरकात उस हर इंसान तक पहुँचती हैं जो अल्लाह की रहमत का तलबगार हो

हौज़ा / हुज्जतुल इस्लाम सय्यद इब्राहीम सईदी ने कहा, हज़रत ज़हरा सल्लल्लाहु अलैहा अगरचे अर्श के मुक़ाम की धनी हैं, लेकिन वह हमेशा उम्मत और उसकी समस्याओं से जुड़ी हुई हैं और उनकी बरकतें उस हर इंसान तक पहुँचती हैं जो अल्लाह की रहमत का तलबगार हो।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , ईरान के शहर बंदर दैय्यर के जुमआ की नमाज़ के ख़ुतबे में इमाम-ए-जुमआ हुज्जतुल इस्लाम सय्यद इब्राहीम सईदी ने बदहयाई और अश्लीलता की कड़ी आलोचना करते हुए कहा, कुछ लोगों द्वारा बे-इफ़्फ़ती बदहयाई और नैतिक सीमाओं का उल्लंघन जैसी कोशिशें वास्तव में दुश्मन की पश्चपोषित एक ख़तरनाक नरम लड़ाई का हिस्सा हैं।

समाज में बदहयाई और अश्लीलता को आम बनाने की कोशिशें अमेरिका और इज़राईली शासन की योजनाओं का हिस्सा हैं और किसी को भी यह अधिकार हासिल नहीं है कि वह सामाजिक हालात या अन्य किसी बहाने के आधार पर अल्लाह के हुक्मों को कम करे।

उन्होंने पश्चिमी यौन अराजकता, विशेष रूप से फ्रॉयड के विचारों और पश्चिमी संस्कृति के अराजकता पर आधारित मॉडलों को विनाशकारी बताते हुए कहा,ऐसे विचारों ने पारिवारिक मूलभूत व्यवस्था को खंडित किया है और कुरआन ने भी कई भ्रष्ट क़ौमों के अंजाम से चेतावनी दी है।

इमाम-ए-जुमआ दीर ने आज़ादी के नाम पर आयोजित होने वाली मिश्रित पार्टियों, विभिन्न शोज़ और मीडिया में भ्रष्ट सामग्री के प्रचार को इस्लामी समाज को निशाना बनाने वाले दुश्मन की योजना का हिस्सा बताया।

उन्होंने मीडिया में प्रचलित अश्लील शब्दों और सतही बयानबाजी की भी आलोचना की और कहा, दुश्मन के हाथ में एक महत्वपूर्ण हथियार यही है कि वह मीडिया और सोशल मीडिया में अश्लील बोल दे कुछ कलाकारों के हिजाब के तरीके से लेकर सतही संवाद तक सब इसी नरम लड़ाई का सिलसिला हैं।

इमाम-ए-जुमआ दीर ने हज़रत फातिमा ज़हरा अलैहास्सलाम की विलादत को खैरे कसीर का प्रतीक बताया और कहा,यह कौसर-ए-इलाही हमेशा से इंसानियत के लिए बरकत और रहमत का कारण रही हैं।

उन्होंने कहा, हज़रत ज़हरा सल्लल्लाहु अलैहा यद्यपि अर्श के मक़ाम की धनी हैं, लेकिन वह हमेशा उम्मत और उसकी समस्याओं से जुड़ी हुई हैं और उनकी बरकतें उस हर इंसान तक पहुँचती हैं जो अल्लाह की रहमत का तलबगार हो।

हुज्जतुल इस्लाम सईदी ने कहा, हमें इस बात पर गर्व होना चाहिए कि हमारे मकतब की महिलाओं के पास आदर्श के रूप में हज़रत ज़हेरा और हज़रत उम्मुल बनीन सल्लल्लाहु अलैहमा जैसी महान हस्तियाँ हैं जो ईमान, तक्वा, सब्र और पाकीज़गी का अनुपम उदाहरण हैं।

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