हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार ,इमाम ए जुमआ क़ुम अलमुकद्देसा आयतुल्लाह सैयद मोहम्मद सईदी ने अपने जुमआ के ख़ुतबे में कहा कि अमेरिका के साथ संबंध स्थापित करने की इच्छा रखने वालों को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि ईरानी जनता और इस्लामी गणराज्य कभी भी अमेरिका की गुलामी को फिर से स्वीकार नहीं करेंगे अमेरिका ईरान को दोबारा अपने अधीन लाने का सपना कभी पूरा नहीं कर सकेगा।
आयतुल्लाह सईदी ने कहा कि अमेरिका हमेशा ब्लैकमेलिंग की नीति पर काम करता है और वह ईरान को उसकी सांस्कृतिक, सैन्य, राजनीतिक और धार्मिक सीमाओं से पीछे हटाने के लिए मजबूर करना चाहता है लेकिन ईरानी जनता ने अपनी आज़ादी के लिए क्रांति की है और कुर्बानियां दी हैं।
उन्होंने कहा कि ईरानी कौम हज़रत फातिमा ज़हरा स.अ. के मक्तब की अनुयायी है और महिलाएं अपनी पवित्रता, हिजाब और स्थिरता के ज़रिए इस रास्ते को जारी रखेंगी।
खुतबे में कहा गया कि विश्वविद्यालयों को ज्ञान उत्पादन का केंद्र बने रहना चाहिए न कि राजनीतिक दलों के ठिकाने दुश्मन शैक्षणिक संस्थानों को राजनीतिक विवादों में उलझाकर उनकी असल ज़िम्मेदारी से दूर करना चाहता है।
आयतुल्लाह सईदी ने अय्यामे फ़ातिमिया को स्थिरता और दृढ़ता की सोच के प्रसार का महत्वपूर्ण अवसर बताया और कहा कि इस्लामी व्यवस्था की मजबूती के लिए स्थिरता के सिद्धांतों का पालन आवश्यक है।
उन्होंने कुरान मजीद के हवाले से मस्जिदे ज़िरार की मिसाल दी यह बताते हुए कि मुनाफ़िकों ने धर्म के नाम पर पाखंड किया।मुसलमानों को दुश्मनों की साजिशों से बचने के लिए समझदारी और सतर्कता का प्रदर्शन करना चाहिए।
इमाम जुमआ क़ुम ने अमेरिकी अहंकार और पाखंड के खिलाफ संघर्ष पर ज़ोर दिया और ईरानी जनता की स्थिरता इस्लामी शिक्षाओं के पालन और दुश्मन की साजिशों के प्रति सतर्क रहने की अहमियत को रेखांकित किया।
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