शनिवार 13 दिसंबर 2025 - 14:28
आयते तत्हीर हज़रत फातेमा ज़हेरा स.ल.की इस्मत पर रौशन दलील हैं। मौलाना सैयद रूहे ज़फर रिज़वी

हौज़ा / मुंबई: खोजा शिया अशना अशरी जामा मस्जिद, पालागली के इमाम ए जुमआ हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलाना सैयद रूहे ज़फर रिज़वी ने जुमआ की नमाज़ के ख़ुत्बों में हज़रत ज़हेरा स.ल. की विलादत की मुनासिबत से तहनीयत पेश करते हुए कहा कि आयत-ए-तत्हीर हज़रत फ़ातिमा ज़हेरा सलाम अल्लाह अलैहा की इस्मत पर प्रमाण है, हालांकि बीबी स.ल. का मकाम व मर्तबा इस प्रमाण से बहुत ऊँचा है यह प्रमाण सिर्फ़ दुनिया को समझाने के लिए है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,मुंबई: खोजा शिया अशना अशरी जामा मस्जिद, पालागली  के इमाम ए जुमआ हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलाना सैयद रूहे ज़फर रिज़वी ने जुमआ की नमाज़ के ख़ुत्बों में हज़रत ज़हेरा स.ल. की विलादत की मुनासिबत से तहनीयत पेश करते हुए कहा कि आयत-ए-तत्हीर हज़रत फ़ातिमा ज़हेरा सलाम अल्लाह अलैहा की  इस्मत पर प्रमाण है, हालांकि बीबी स.ल. का मकाम व मर्तबा इस प्रमाण से बहुत ऊँचा है यह प्रमाण सिर्फ़ दुनिया को समझाने के लिए है।

मौलाना सैयद रूहे ज़फर रिज़वी ने हदीस-ए-कुद्सी "ऐ रसूल! अगर आप न होते तो मैं आसमानों को पैदा न करता, अगर अली (अलैहिस्सलाम) न होते तो मैं आपको पैदा न करता और अगर फ़ातिमा (सलाम अल्लाह अलैहा) न होतीं तो मैं आप दोनों को पैदा न करता। को बयान करते हुए कहा कि कोई माने या न माने, लेकिन इस अक़ीदे पर हमारा यक़ीन है, यही हमारी नजात का ज़रिया है और आख़िरत में यही हमारी शफ़ाअत का ज़रिया है।

आयत-ए-तत्हीर को बयान करते हुए मौलाना सैयद रूह ज़फर रिज़वी ने कहा कि आयत-ए-तत्हीर हज़रत फ़ातिमा ज़हरा सलाम अल्लाह अलैहा की अचूकता पर प्रमाण है, हालांकि बीबी सलाम अल्लाह अलैहा का मकाम व मर्तबा इस प्रमाण से बहुत ऊँचा है। यह प्रमाण सिर्फ़ दुनिया को समझाने के लिए है।

मौलाना सैयद रूह ज़फर रिज़वी ने आगे कहा कि सभी शिया और अक्सर अहले सुन्नत मुफ़स्सिरीन के मुताबिक़ आयत-ए-तत्हीर पंजतन पाक (अलैहिमुस्सलाम) की शान में नाज़िल हुई और इसमें मर्कज़ियत हज़रत फ़ातिमा ज़हरा सलाम अल्लाह अलैहा को हासिल थी।

सूरह कौसर का तज़किरा करते हुए मौलाना सैयद रूहे ज़फर रिज़वी ने कहा कि कौसर से मुराद हज़रत फ़ातिमा ज़हरा सलाम अल्लाह अलैहा हैं, यही "ख़ैरे कसीर" हैं, अल्लाह ने उनकी नस्ल में 11 मअसूम इमामों को रखा, अल्लाह ने वजह-ए-बक़ाए-कायनात उनके फ़रज़ंदों को करार दिया। याद रहे कि मुकम्मल सूरह कौसर हज़रत फ़ातिमा ज़हेरा सलाम अल्लाह अलैहा की शान में नाज़िल हुआ है।

मौलाना सैयद रिज़वी ने आगे कहा कि पूरी दुनिया में सादात मौजूद हैं, यानी हज़रत फ़ातिमा ज़हरा सलाम अल्लाह अलैहा की नस्ल मौजूद है, लेकिन जो आपके दुश्मन थे वह अबतर हुए और आज उनकी नस्ल का कोई नामो-निशान नहीं है।

मौलाना सैयद रूहे ज़फर रिज़वी ने डिजिटल लाइफ़ का तज़किरा करते हुए कहा कि आज जो हमारे हाथों में मोबाइल मौजूद है अगर ग़ौर करें तो उसने हमारे दीन व अक़ीदे को कमज़ोर कर दिया है, कुछ बरस पहले तक टीवी वग़ैरह को लोग मअयूब समझते थे लेकिन आज वह सब ख़त्म हो गया क्योंकि सब कुछ मोबाइल में मौजूद है। लिहाज़ा हमें अपने बच्चों की तरबीयत पर ग़ौर करना होगा अगर उसे ख़त्म नहीं कर सकते तो कम ज़रूर करें।

मौलाना सैयद रूहे ज़फर रिज़वी ने आगे कहा कि वक़्त मुअय्यन करें कि बच्चा कितनी देर स्क्रीन के सामने रहेगा। अगर चाहते हैं कि कल यह बच्चा आख़िरत में आपके लिए जान का अज़ाब न बने तो आज उसे जान का अज़ाब न बनाएं। बच्चों को वक़्त दीजिए, बच्चों के मोबाइल पर निगाह रखिए। अगर गेम के लिए भी बच्चे को मोबाइल दे रहे हैं तो वह गेम खेलने दीजिए जिससे उसे फ़ायदा हो नुक़सान न हो।

मौलाना सैयद रूहे ज़फर रिज़वी ने कहा कि पहले बच्चों का होम वर्क वग़ैरह सब स्कूल से लिख कर दिया जाता था लेकिन अब छोटे-छोटे बच्चों के लिए भी मैसेज आते हैं, लिहाज़ा मजबूरी है इससे अलग नहीं हो सकते लेकिन कंट्रोल ज़रूर कर सकते हैं।

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