शनिवार 8 मार्च 2025 - 14:12
इल्म और जागरूकता हमारी अहम ज़िम्मेदारी है।मौलाना सैयद रूहे ज़फार रिज़वी

हौज़ा / मौलाना सैयद रूहे ज़फार रिज़वी ने नमाज़ियों को इबादत और बंदगी की तरफ प्रेरित करते हुए फरमाया,यह माहे रमज़ान बेहतरीन मौक़ा है क्योंकि इसमें अल्लाह ने एक आयत की तिलावत का सवाब पूरा क़ुरआन पढ़ने के सवाब के बराबर रखा है एक इबादत पर हज़ार इबादतों का सवाब मिलता है यह सवाब सिर्फ़ आख़िरत में नहीं बल्कि दुनिया में भी मिलेगा।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, मुंबई/खोज़ा शिया इशना अशरी जामा मस्जिद पालागली में 7 मार्च 2025 को हजतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलाना रूहे ज़फार रिज़वी की इमामत में जुमे की नमाज़ अदा की गई।

मौलाना सैयद रूहे ज़फार रिज़वी ने नमाज़ियों को तकवा इलाही की नसीहत देते हुए फरमाया, तकवा-इलाही हमारी पहली जिम्मेदारी है और यकीनन दुनिया और आख़िरत दोनों की कामयाबी इसी तकवा के जरिए हासिल होती है।

मौलाना ने रसूल स.ल.व. की एक हदीस को बयान करते हुए फरमाया, यकीनन इस दुनिया में हम सब मुसाफिर हैं सब सफर कर रहे हैं यह दुनिया किसी का घर नहीं है सब सफर की हालत में हैं और किसी न किसी मंजिल की तरफ जा रहे हैं क़ुरआन और हदीस की रौशनी में वह मंजिल जिसे हमें अपनाना है वह आख़िरत है दुनिया नहीं है।

मौलाना सैयद रूहे ज़फार रिज़वी ने अमीरुल मोमिनीन इमाम अली स.ल. की हदीस की रौशनी में बिसात रसूल का मकसद बयान करते हुए फरमाया, क़ुरआन करीम में अल्लाह तबारक व ताला ने 13 जगहों पर इंसान को ग़ौर व फिकर करने की दावत दी है इसलिए इंसान को तफक्कुर व तदब्बुर करना चाहिए।

मौलाना सैयद रूह ज़फार रिज़वी ने माहे रमज़ान की बरकतों और रहमतों से ज़्यादा से ज़्यादा फायदा उठाने की तरफ ध्यान दिलाते हुए फरमाया,इंसान की उम्र के दो खरीदार हैं एक अल्लाह है और दूसरा शैतान है। यह मुबारक महीना बेहतरीन मौका है कि इंसान ख़ुदावंद आलम का हो जाए और अपनी हस्ती को उसके हवाले कर दे और उसी के मुताबिक़ जिंदगी गुज़ारे।

मौलाना ने जिहाद की वज़ाहत करते हुए फरमाया, हर वह काम जो अल्लाह के लिए किया जाए वह जिहाद है रोज़ी कमाना भी जिहाद है। क़ुरआन करीम ने एलान किया है कि अपने नफ़स और अपने माल से राहे खुदा में जिहाद करो इस में तुम्हारे लिए भलाई है, अगर तुम समझ सको।

मौलाना सैयद रूहे ज़फर रिज़वी ने अमीरुल मोमिनीन इमाम अली अ.स. की हदीस दुनिया अवलिया-ए-ख़ुदा की तिजारतगाह है को बयान करते हुए फरमाया, यह माहे रमज़ान बेहतरीन मौका है कि इंसान अल्लाह की आतअत करके अल्लाह का वली और दोस्त बन सकता है।

मौलाना सैयद रूहे ज़फार रिज़वी ने नमाज़ियों को इबादत और बंदगी की तरफ प्रेरित करते हुए फरमाया, यह माहे रमज़ान बेहतरीन मौका है क्योंकि इसमें अल्लाह ने एक आयत की तिलावत का सवाब पूरे क़ुरआन की तिलावत का सवाब रखा है। एक इबादत पर हज़ार इबादतों का सवाब है यह सवाब सिर्फ़ आख़िरत में नहीं बल्कि दुनिया में भी मिलेगा।

मौलाना सैयद रूहे ज़फार रिज़वी ने दुनिया में हो रहे ज़ुल्म व सितम और मुसीबतों का ज़िक्र करते हुए फरमाया, इन तमाम मुसीबतों का वक्ती हल इल्म और बेदारी है इसलिए हमें इस सिलसिले में कोशिश करनी चाहिए सिर्फ़ भूखों का पेट भरना जिम्मेदारी नहीं है बल्कि उनके इल्म और बेदारी के सिलसिले में भी ध्यान देना हमारी जिम्मेदारी है।

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