रविवार 14 दिसंबर 2025 - 15:57

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,मख़्लूकात में सबसे मुशैव्वीश तरीन मख्लूक इंसान हैं।

जिसे हर लम्हा, हर कदम शुबहात घेरे रहता हैं!

तेश्वीश, तेश्वीश और बस तेश्वीश यहीतो है इंसान के सामने।
हैरानगी और हक्का बक्का कर देने वाली घटनाएँ
लाचारीऔर परेशानी...

रास्तेभी तो अँधेरे और स्याह रात में
खोचुके हैं मानो!

फिर अल्लाह तआला ने अपने लुत्फ़ और करम से
कुछ ख़ास और प्यारे बन्दों को इस्मत का ताज पहनाया,और हैरत मेंडूबी इंसानियत की हिदायत के लिए उन्हें मुंतख़ब (चुना हुआ) करार दिया!

और हमें तो कई तरह के हुक्मों के ज़रिए
उनकीइताअत की तरफ़ बुलाया,
ताकि हमारी ज़िन्दगी भी कामयाब रहे
और हमारीमौत भी कामयाब रहे!

हिदायत और रहनुमाई के निज़ाम की तकमील
तो नबी-ए-आख़िर (स.अ.व.) की इकलौती बेटी,
नेक दोख्तर व अख़्तर , शब्बीर और शब्बर की माँ, हज़रत फ़ातिमा ज़हेरा (स.अ.) की
मुबारक और मुक़द्दस ज़ात के ज़रिए हुई!

नबी-ए-आख़िर (स.अ.व.) की इकलौती बेटी का वजूद-ए-नाज़नीन ज़मीन वालोंके लिए भी रहनुमा रहा
और आसमान वालोंके लिए भी रौशनी का सबब रहा!

मौलाना मुहम्मद मेराज ख़ाँ रन्नवी ने
हज़रत फ़ातिम ज़हेरा(स.अ.) की
विलादत-ए-बा-सआदत के पुर-मुसर्रत मौके पर
चेन्नई के मोमिनीन के दरमियान जुमआ के ख़ुत्बे में बैत-उश-शरफ़(पैगम्बर के घराने) की अहमियत बयान की और अहम पहलुओं पर रौशनी डाली।

आख़िर-ए-बयान में इस्लाही पैग़ाम देने के साथ-साथ सीरत-ए-ज़हेरा(स.अ.) की पैरवी पर ज़ोर दिया,ख़ास तौर पर अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली(अ.स.) की विलायत के दिफ़ाअ में
हज़रत ज़हेरा(स.अ.) की क़ुर्बानी और शहादत याद रखने की ताकीद की।

दुआ-ए-तअजील-ए-ज़ुहूर के साथ
मोमिनीन ने एक-दूसरे को उस नूरानी पैदाइश पर
मुबारकबाद पेश कीं। और अंत में दुआएं की।

20 जमादिस-सानी 1447 हिजरी,
इमाम ए जुमआ चेन्नई, तमिलनाडु

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