हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, इराक के पवित्र शहर नजफ़ अशरफ़ में “अज़ाए फ़ातिमिया” के दसवें सालाना जुलूसे अज़ा का आयोजन बहुत श्रद्धा और सम्मान के साथ किया गया, जिसमें आयतुल्लाहिल उज़्मा हाजी हाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी की शिरकत ने इस जुलूस को रूहानी जलाल बख़्शा।
यह जुलूस आयतुल्लाहिल उज़्मा हाफ़िज़ शेख बशीर हुसैन नजफ़ी के मरकज़ी दफ्तर से शुरू हुआ और हरम मुतहर अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली (अ) की जानिब रवाना हुआ। इस मौक़े पर उलमा व फ़ुज़ला, हौज़ा इल्मिया के तुल्लाब, कबीलों के नुमाइंदे, हुसैनी मवाक़िब के ख़ुद्दाम और इराक़ के मुख़्तलिफ़ शहरों के अलावा दूसरे ममालिक से आए हुए मोमिनीन ने भी बहुत बड़ी तादाद में शिरकत की।
जुलूस का आग़ाज़ तिलावत-ए-कुरआन करीम से हुआ, जिसके बाद ख़ुतबा पढ़ने वालों ने हज़रत फातिमा ज़हरा (स) पर ढाए गए ज़ुल्मों और उनकी अज़ीम सीरत पर रौशनी डाली। शोअराए किराम ने अपने कलाम के ज़रिए बीबी दो आलम (स) के मसाएब और आलाम को बयान करते हुए माहौल को ग़म और दु:ख से भर दिया।
जुलूस के आख़िर में हरम मुतहर इमाम अली (अ) के सहन में एक पुर-अक़ीदत मजलिसे अज़ा का ऐहतमाम हुआ, जिसमें दीनी और अवामी शख्सीयतों ने बड़ी तादाद में हिस्सा लिया। मुकर्रिरीन ने हज़रत ज़हरा (स) के साथ पेश आने वाले तारीखी वाक़िआत का ज़िक्र किया और अहले बैत (अ) के मिशन-ए-हक़ व अदालत को जारी रखने के अज़्म का इज़हार किया।
आख़िर में जुलूस के शिरका़ ने ज़ियारते अमीरुल मोमिनीन (अ) की सआदत हासिल की और इमाम अस्र व ज़मान (अ) की खिदमत में ताज़ियत पेश करते हुए जुलूस का इख़्तिताम हुआ।



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