۳۰ اردیبهشت ۱۴۰۳ |۱۱ ذیقعدهٔ ۱۴۴۵ | May 19, 2024
मौलाना

हौज़ा/हज़रत फातिमा ज़हेरा स.ल. की शहादत के मौके पर तीसरी और आखिरी मज़लिस को मौलाना मोहम्मद मेहंदी आजमी ने संबोधित करते हुए फरमाया,हजरत फातिमा की अजमत को कम करने के लिए पैगंबर की चार बेटियां बता दी गई लेकिन इतिहास यह नहीं बता सका की वह बेटियां तत्हीर वा सदाकत की आयत में क्यों नहीं नजर आती उन बेटीयों के हक में पैगंबर की कोई हदीस क्यों नहीं मौजूद हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत फातिमा ज़हेरा स.ल. की शहादत के मौके पर तीसरी और आखिरी मज़लिस को मौलाना मोहम्मद मेहंदी आजमी ने संबोधित किया, मजलिस का आयोजन रविवार को शाबान मंजिल में हुआ मजलिस के बाद नौहा व मातम के साथ शोक मनाया गया,

मौलाना ने फरमाया कि जब पैगंबर को नजरान से आए हुए ईसाई धर्मगुरुओं के प्रतिनिधिमंडल के सामने खुद को सच्चा साबित करना था तो उस मौके पर वह हज़रत फातिमा व उनके परिवार को ही लेकर मुबाहले के मैदान में लेकर आए, हम इन्हें पंजतन के नाम से जानते हैं,तत्हीर  की आयत में भी यही पंजतन शामिल हैं।

हज़रत पैगबर स.ल.व. की नस्ल जिससे सैय्यद के नाम से जाना जाता है वह इसी बेटी फातिमा से चली है हजरत फातिमा को पैगंबर ने अपने जिगर का टुकड़ा बताया और उनके बेटे हसन व हुसैन को अपना बेटा कहा,हज़रत फातेमा स.ल.ने शरीयत व कुरआन अपने पिता से सीखी,
मौलाना ने फरमाया कि जिन्हें कुरान की सुरह बाराअत नहीं याद वह फात्मा को शरीयत बताकर फदक जैसी संपत्ति देने से इनकार कर रहे हैं।

हज़रत फातिमा की अजमत को कम करने के लिए पैगंबर की चार बेटियां बता दी गई।लेकिन इतिहास यह नहीं बता सका की वह बेटियां तत्हीर वा सदाकत की आयत में क्यों नहीं नजर आती उन बेटीयों के हक में पैगंबर की कोई हदीस क्यों नहीं मौजूद हैं।

मौलाना ने फरमाया कि दुनिया को यह जान लेना चाहिए की असहाब पैगंबर के साथ रहने वालों की फजीलत बहुत है लेकिन वह पैगंबर की आल पंजतन के बराबर नहीं हो सकते,जिन असहाब ने पैगम्बर व उनकी आल के दर की खाद को माथे से लगाया वह दुनिया वह आकिरत दोनों में कामयाब नजर आते हैं।

हजरत पैगंबर अपने बाद हमारे लिए कुरान और आल को छोड़ गए इनकी मिसाल हज़रत नूह के नौका जैसी है इस पर सवार होने वाले ही कामयाब है हजरत पैगंबर की इस बेटी की शहादत बेबासी के आलम में हुई इस जुल्म को छुपाने के लिए तरह-तरह की रिवायत गाड़ी गढी गई लेकिन जुल्म पर पर्दा नहीं डाला जा सकता,

अंत में मौलाना ने हज़रत फातिमा ज़हेरा के दर्दनाक मसायब बयांन किए जिसको सुनने के बाद मौजूद मोमिनों की आंखों से आंसू छलक उठे।

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