रविवार 14 दिसंबर 2025 - 17:05
गीता में हक़ तआला तक पहुंचने के रास्ते की जांच कुरान के आईने मे

हौज़ा / भगवद गीता हिंदू धर्म में एक खास स्थान रखती है। इसमें अठारह प्रवचन हैं, जो कृष्ण और अर्जुन के बीच बातचीत का कलेक्शन हैं। इस पुस्तक में रहस्यमय, बुद्धिमानीपूर्ण, नैतिक चर्चाएँ हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसारः मौलाना जुल्फ़ुक़ार हुसैन नागपुरी के साथ हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के रिपोर्टर की मौलाना की पीएचडी की थीसिस पर विशेष बात चीत हुई जिसे हम अपने प्रिय पाठको के लिए प्रस्तुत कर रहे है। मौलाना लगभग 33 लेख और पुस्तको के लेखक है और उनमे से अधिकांश प्रकाशित हो चुकी है।

हौज़ाः सलामुन अलैकुम, किबला अपना परिचय कराते हुए हमारे प्रिय पाठको को अपने इल्मी सफ़र से संबंधित चीज़ो को बयान करें।

डॉ. ज़ुल्फ़िकार हुसैनः मेरा नाम जुल्फ़िकार हुसैन है मेरा जन्म 1979 में महाराष्ट्र के नागपुर के कामटी शहर में हुआ। मेरी दीनी और दुनियावी शिक्षा कामटी शहर में ही हुई। ​​प्रारम्भिक धार्मिक शिक्षा इमामिया स्कूल में हासिल की, फिर हौज़ा इल्मिया रसूल-ए-आज़म में लगभग पाँच साल तक अरबी और फ़ारसी धार्मिक शिक्षा हासिल की। ​​2001 में ईरान जाने का मौका मिला और वहाँ, जामेअतुल मुस्तफ़ा में अलग-अलग टीचरों से शिक्षा हासिल की। इस दौरान कई कलेक्शन, ट्रांसलेशन, आर्टिकल लिखे और कई ट्रांसलेटेड किताबें भी पब्लिश हुईं। इंटरनेशल अल मुस्तफा यूनिवर्सिटी से PhD की थीसिस फ़ारसी मे" बर्रसी ए राहकारहाए वुसूल बे हक़ दर गीत बा महवरीयते क़ुरआन अर्थात गीता में हक़ तआला तक पहुंचने के रास्ते की जांच कुरान के आईने मे" टॉपिक पर लिख कर PhD पूरी की। लगभग मेरे लेखो और किताबो की संख्या 33 है जिनमे से कुछ प्रकाशित हो चुकी है। 

हौज़ाः इस शोध और तहक़ीक़ का मकसद और लक्ष्य क्या था?

डॉ. ज़ुल्फ़िकार हुसैनः: दोनों किताबों (कुरान मजीद और भगवद गीता) के बीच समानता और अंतर को मारफ़त, अमल, और मोहब्बत (इश्क़) के कांसेप्ट को बयान करना मक़सद था ।

हौज़ाः आपने अपनी थीसीस को कितने अध्यायो पर विभाजित किया?

डॉ. ज़ुल्फ़िकार हुसैनः इस शोध में पाँच चैप्टर शामिल किए गए हैं; पहला अध्याय कुल्लियात (जनरल बाते) है, जिसमें सच का मतलब, सच पाने के तरीके, गीता और पवित्र कुरान, और खासकर भगवद् गीता के बारे में डिटेल में बताया गया है। दूसरा अध्याय पवित्र कुरान और गीता में अल्लाह तक पहुचने का रास्ता मारफ़त है, जिसमें यूनिवर्सल और अंदरूनी आयतों की पूरी तरह से जांच की गई है, और इस बारे में अलग-अलग आयतें लाई गई हैं, और फिर गीता से यूनिवर्सल और अंदरूनी आयतों को भी लाया गया है और उनकी तुलना की गई है। तीसरा अध्याय अल्लाह तक पहुचंने का रास्ता अमल, जिसमें गीता की तफ़सीर करने वालों के विचार और कुरान की तफ़सीर करने वालों के विचार भी बताए गए हैं चौथे अध्याय अल्लाह तक पहुंचने का रास्ता मोहब्बत और इश्क़,जिसमें आयतुल्लाह जवादी और दूसरे मुफ़स्सिरो की नज़र में प्यार के प्रकार और उसके पड़ाव बताए गए हैं और पाँचवाँ एवं अंतिम अध्याय पवित्र कुरान और गीता में मारफ़त, अमल और प्यार के बीच समानता और अंतर का वर्णन किया गया है।

हौज़ाः भगवद गीता की क्या विशेषता हैं?

डॉ. ज़ुल्फ़िकार हुसैनः भगवद गीता हिंदू धर्म में एक खास स्थान रखती है। यह किताब भारत के बच्चों की कहानी बताती है, जिसमें अठारह प्रवचन हैं, जो कृष्ण और अर्जुन के बीच बातचीत का कलेक्शन हैं। इस पुस्तक में रहस्यमय, बुद्धिमानीपूर्ण, नैतिक चर्चाएँ हैं... बताई गई हैं।

हौज़ाः इस शोध को अंत तक पहुंचाने में कितनी मेहनत और प्रयास लगे?

डॉ. ज़ुल्फ़िकार हुसैनः जहाँ तक मेहनत और प्रयास की बात है, बिना मेहनत और प्रयास के कोई भी काम सफल नहीं होता। यह शोध उस समय किया गया जब दुनिया कोरोना के भय से अपने घरो मे सीमित थी। इस थीसिस को लिखने में जो मुश्किलें आईं, उनमें से एक दुर्भाग्यवंश कुछ कारणो से रिसर्च के बीच में, जिस टीचर के मार्गदर्शन में यह रिसर्च का काम चल रहा था, टीचर-गाइड बदल दिए गए। कई मुश्किलें और भी आईं, लेकिन अल्लाह का शुक्र है कि रिसर्च का काम पूरा हुआ। और अपनी थीसिस का डीफेंस करते हुए पीएचडी मुकम्मल की।

हौज़ाः इन तीन रास्तों में से कौन सा रास्ता अल्लाह तक पहुँचने का सबसे ज़रूरी रास्ता है?

डॉ. ज़ुल्फ़िकार हुसैनः इन तीन रास्तों में सबसे ज़रूरी कुरान और गीता की नज़र में मोहब्बत और इश्क है।

हौज़ाः मारफ़त और इल्म का क्या मतलब है?

डॉ. ज़ुल्फ़िकार हुसैनः मारफ़त और इल्म का मतलब कई बार बताया गया है, जिसके उदाहरण अलग अलगा है इसलिए कहा गया है कि हर मारफ़त इल्म है लेकिन हर इल्म मारफ़त नहीं होता। स्वर्गीय फखरुद्दीन तुरैही ने मारफ़त के तीन मतलब बताए हैं: पहचान, यक़ीन और मारफ़त...

हौज़ाः कुरान की नज़र में कर्म (अमल) का क्या महत्व है?

डॉ. ज़ुल्फ़िकार हुसैनः कुरान की नज़र में, कर्म का बहुत अधिक महत्व है और इसी के आधार पर इंसान मुक्ति के रास्ते तय करता है और इसी से उसकी आक़ेबत निर्धारित होती है।

हौज़ाः पवित्र कुरान की कौन सी आयत मोहब्बत और इश्क़ पर सबसे ज़्यादा ज़ोर देती है?

डॉ. ज़ुल्फ़िकार हुसैनः पवित्र कुरान में इश्क शब्द का ज़िक्र नहीं है, लेकिन इसका मतलब सूर ए बक़रा की आयत नंबर 165 में बताया गया है।

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