हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इटली के कई बड़े क्षेत्रों द्वारा की गई 24 घंटे की हड़ताल के कारण सार्वजनिक परिवहन, रेलवे, विमान सेवाएं, सरकारी सेवाएं और शिक्षा क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुए।
विभिन्न यूनियनों द्वारा जारी बयान में कहा गया कि इटली सरकार की आर्थिक और सामाजिक नीतियाँ अनुचित रूप से कम आय वाले परिवारों और मज़दूर वर्ग पर बोझ डाल रही हैं, जिससे जनता में गहरी निराशा फैल गई है।
हालाँकि, ये हड़तालें केवल आर्थिक असंतोष तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि जल्द ही उन्होंने एक मज़बूत राजनीतिक और मानवीय रूप ले लिया। इस बार देश के अलग-अलग शहरों में हज़ारों छात्र और मानवाधिकार कार्यकर्ता फ़िलिस्तीन के झंडों के साथ मार्च में शामिल हुए।
प्रदर्शनकारियों ने ग़ज़्ज़ा में जारी युद्ध को तुरंत समाप्त करने, नाकाबंदी हटाने और ग़ज़्ज़ा तथा पश्चिमी तट में आम नागरिकों की सुरक्षा की माँग की।इन प्रदर्शनों के आयोजकों ने कहा कि यह युद्ध और नरसंहार मानव गरिमा और सामाजिक अधिकारों पर बातचीत को असंभव बना चुका है, जबकि ग़ज़्ज़ा में हर दिन महिलाएँ और बच्चे मारे जा रहे हैं।
यह विरोध प्रदर्शन और हड़ताल हाल के हफ्तों में फ़िलिस्तीन के समर्थन में इतालवी यूनियनों की ओर से दूसरा बड़ा जन-आंदोलन है, जो फ़िलिस्तीनी अधिकारों के लिए बढ़ते जनसमर्थन और यूरोप में जारी युद्ध के ख़िलाफ़ बढ़ती नाराज़गी को साफ़ तौर पर दर्शाता है।
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