हौज़ा / हज़रत उम्मुल-बनीन (स) की वफ़ात दिवस की पूर्व संध्या पर अमीरुल मोमेनीन इमाम अली (अ) के हरम मुताहर के सहन और हॉल में दु:ख और मातम के शिलालेख लगाए गए।

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