۸ مهر ۱۴۰۳ |۲۵ ربیع‌الاول ۱۴۴۶ | Sep 29, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा / दौलत और औलाद कभी भी इंसान को अल्लाह ताला से आज़ाद नहीं कर सकती। इंसान को हर हाल में अल्लाह तआला की जरूरत होती है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم   बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
إِنَّ الَّذِينَ كَفَرُوا لَن تُغْنِيَ عَنْهُمْ أَمْوَالُهُمْ وَلَا أَوْلَادُهُم مِّنَ اللَّـهِ شَيْئًا ۖ وَأُولَـٰئِكَ هُمْ وَقُودُ النَّارِ   इन्नल लज़ीना कफ़रू लन तुग़नेया अंहुम अमवालोहुम वला औलादोहुम मिनल्लाहे शैअन वा उलाएका हुम वुक़ूदुन्नार (आले इमरान, 10)

अनुवाद: वास्तव में वे लोग जिन्होंने इनकार किया। अल्लाह की नज़र में उनके माल और औलाद उन्हें कभी फायदा नहीं पहुंचा सकते और ये लोग जहन्नम का ईंधन हैं।

क़ुरआन की तफसीर:

1️⃣ अविश्वासी धन और बच्चों में मासूमियत तलाशते हैं, लेकिन उन्हें यह कभी नहीं मिलेगी।
2️⃣ अल्लाह के अलावा किसी और पर भरोसा करने से इंसान की वास्तविक और आध्यात्मिक ज़रूरतें कभी पूरी नहीं हो सकतीं।
3️⃣ दौलत और माल वो बुत हैं जो अल्लाह ताला की तरफ रुझान को रोकते हैं।
4️⃣ दौलत और औलाद कभी भी इंसान को अल्लाह ताला से आज़ाद नहीं कर सकती।
5️⃣ इंसान को हर हाल में अल्लाह तआला की जरूरत होती है।


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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए आले-इमरान

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