हौज़ा / पैगम्बर (स) की बेअसत की रात अमीरुल मोमेनीन अली (अ) की दरगाह पर ज़ाएरीन की भीड़ थी, जहाँ लोग विनम्रतापूर्वक दुआ कर रहे थे, दुआएँ मांग रहे थे और शबे मेराज के आमाल कर रहे थे।


 

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