अदा और क़ज़ा नमाज़
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शरई अहकाम:
कज़ा नमाज़ के बारे में पाँच बिंदु
हौज़ा / जितनी नमाज़ें पढ़ी नहीं गई हैं या बातिल हो गई हैं और अब उनका समय भी बीत चुका है, उनकी क़ज़ा करना ज़रूरी है।
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शरई अहकाम : अज़ादारी के तवील हो जाने से नमाज़ का क़ज़ा होना
हौज़ा/ ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामेनई ने अज़ादारी के तवील हो जाने से नमाज़ के कज़ा होने से संबंधित पूछे गए प्रश्न का जबाव दिया है।
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शरई अहकाम । जमाअत के साथ यक़ीनी और एहतियाती नमाज़ पढ़ना
हौज़ा : अगर जमात का इमाम यक़ीनी क़जा नमाज़ अदा कर रहा हो तो मोमेनीन का इक़्तदा करने मे कोई हर्ज नहीं है जो यक़ीनी और एहतियाती कज़ा नमाज़ अदा कर रहे हो और अगर इमाम एहतियाती कज़ा नमाज़ पढ़ रहा हो तो मोमेनीन इस सूरत मे इक़्तदा कर सकते है जब उनकी नमाज़ भी एहतियाती और इमाम के साथ उसकी जहत ए एहतियात समान हो। हालाँकि, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि जो व्यक्ति एहतियाती नमाज़ अदा कर रहा है, उसके माध्यम से नमाज़ जमाअत मे इत्तेसाल नहीं होता है।
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शरई अहकाम । अदा और क़ज़ा नमाज़ की नियत मे इश्तेबाह
हौज़ा / शिया मरजा ए तक़लीद ने अदा और क़ज़ा नमाज़ की नियत मे इश्तेबाह के संबंध मे पूछे गए सावल का जवाब दिया है।