सोमवार 6 जनवरी 2025 - 06:30
शरई अहकाम । क़ज़ा नमाज़ की नियत को अदा नमाज़ में बदलने का हुक्म 

हौज़ा / इस्लामी क्रांति के नेता ने क़ज़ा नमाज़ की नियत को अदा नमाज़ में बदलने के हुक्म के संबंध में सवाल का जवाब दिया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, इस्लामी क्रांति के नेता ने क़ज़ा नमाज़ की नियत को अदा नमाज़ में बदलने के हुक्म के संबंध में सवाल का जवाब दिया है। जिसका जिक्र हम यहां उन लोगों के लिए कर रहे हैं जो शरिया मसलों में रूची रखते हैं।

* क़ज़ा नमाज़ की नियत को अदा नमाज़ में बदलने का हुक्म 

प्रश्न: यदि कोई ज़ुहर की नमाज़ से पहले सुबह की क़ज़ा नमाज़ अदा करने के इरादे से नमाज़ शुरू करता है और दूसरी रकअत में तशहुद के बाद भूल कर खड़ा हो जाए और तीसरी रकअत का ज़िक्र पढ़ने के बाद रुकू में जाने से पहले याद आ जाए कि उसने सुबह की क़ज़ा नमाज़ की नियत की थी, तो क्या वह अपनी नियत को ज़ुहर की नमाज़ की ओर पलटा सकता है?

उत्तर: क़ज़ा नमाज़ की नियति को अदा नमाज़ की नियत से बदलना सही नहीं है, और उपरोक्त मसअले के मामले में, नमाज़ पढ़ने वाले को चाहिए कि बैठकर सलाम पढ़कर नमाज़ मुकम्मल करे और नमाज़ के बाद एहतियात मुस्तब की बिना पर दो सज्दे सहू अंजाम दे।

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